यमुनानगर : विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने अपना फैसला ईवीएम में लॉक कर दिया है। अब हर ओर हार-जीत को लेकर समीकरण तय किए जा रहे हैं। प्रत्याशी भी समर्थकों के साथ मंथन कर रहे हैं। खास बात यह है कि इस बार कोई भी किसी की हार जीत को लेकर पुख्ता तौर पर दावा नहीं कर पा रहा है।इस बार विधानसभा चुनाव में यमुनानगर जिले में मतदाताओं ने बड़ी ही खामोशी से मतदान किया है। इससे सियासी समीकरण तय करने वाले सियासी पंडित भी सकते में आ गए। जगाधरी विधानसभा सीट पर सबसे अधिक कांटे की टक्कर है। यही कारण है कि इस सीट पर मतदान भी सबसे अधिक हुआ है।
इस बार जगाधरी सीट पर रिकार्ड को 78.10 फीसदी मतदान हुआ है। यह पिछली बार से करीब पांच फीसदी अधिक है। रादौर और साढौरा में भी अच्छा खासा मतदान हुआ है। वहीं यमुनानगर शहर में कम मतदान हुआ है। इससे सियासत के सभी समीकरण उलझ गए हैंं। बात जगाधरी की करें तो यहां पर जिस तरीके से मतदान का रुझान रहा है।
उससे साफ तौर पर कुछ भी कहना जल्दबाजी है। सभी प्रत्याशी रविवार को बूथवार आंकड़ा खंगालते रहे और समर्थकों के साथ चुनाव के परिणाम पर मंथन किया। माना जा रहा है कि जगाधरी में उलटफेर हो सकता है। वहीं यमुनानगर में भी त्रिकोणीय मुकाबला होेने के कारण बात अगर-मगर में फंस गई है।शहर सीट होने के बावजूद भी यहां से कोई भी स्पष्ट तौर पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। साढौरा को लेकर भी सभी के अपने अपने दावे हैं। कोई भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला बता रहा है, तो कोई बसपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होने का दावा कर रहा है।हालांकि, सियासी दल अपनी-अपनी जीत का दावा करते नजर आ रहे हैं। यही कुछ हाल रादौर का है। यहां पर तो सीधी टक्कर है भाजपा और कांग्रेस के बीच है, लेकिन बीच-बीच में दूसरे दल भी खेल खराब कर रह हैं। बसपा, आसपा और आप को कितने वोट मिलते हैं यह हार जीत का समीकरण तय करेगा।