राजस्थान : राज्यवर्धन सिंह राठौड़ राजस्थान के उन प्रमुख नेताओं में गिने जाते हैं जिनका उल्लेख किए बिना चर्चा अधूरी मानी जाती है। वे जमीनी स्तर से जुड़े नेता हैं और राष्ट्रीय राजनीति में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ संभाली हैं और जनता के बीच एक लोकप्रिय चेहरा बनकर उभरे हैं। सैनिक पिता और शिक्षिका माता के पुत्र राज्यवर्धन ने सेना, खेल, और राजनीति—तीनों ही क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है। कभी एक बेहतरीन खिलाड़ी के रूप में तो कभी एक सक्रिय मंत्री के रूप में उन्होंने लोगों को प्रभावित किया है। अपने जीवनकाल में उन्होंने विद्यार्थी से लेकर पेशेवर दौर तक कई पुरस्कार हासिल किए।उनका जन्म 29 जनवरी 1970 को राजस्थान के जैसलमेर जिले में हुआ था। उनके पिता लक्ष्मण सिंह सेना में कर्नल रह चुके हैं और माता मंजू शिक्षिका हैं। राज्यवर्धन का परिवार बीकानेर के राजघराने से जुड़ा हुआ है। उनकी पत्नी का नाम डॉ. गायत्री राठौर है और उनके दो बच्चे हैं—मानव आदित्य राठौर और गौरी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जैसलमेर में पूरी की और आगे की पढ़ाई के लिए पुणे गए, जहां उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) से स्नातक किया।अपने पिता से प्रेरित होकर राज्यवर्धन ने सेना में करियर बनाने का फैसला किया और देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी में भर्ती हुए। इसके बाद उन्होंने सेना में सेवा देना शुरू किया। उनका प्रारंभिक जीवन राजनीति से दूर खेल की दुनिया में ही व्यतीत हुआ। स्कूल के दिनों में वे बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, क्रिकेट, कबड्डी और शूटिंग में माहिर थे। उन्होंने 1998 में शूटिंग की शुरुआत की और जल्द ही विश्वस्तरीय खिलाड़ियों में अपनी जगह बना ली। 2003 में साइप्रस में आयोजित विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतना उनके करियर की महत्वपूर्ण उपलब्धि रही।एक रोचक तथ्य यह भी है कि युवा अवस्था में राज्यवर्धन क्रिकेटर बनना चाहते थे और उन्हें रणजी ट्रॉफी के लिए चुना भी गया था। हालांकि उनकी माता ने शिक्षा के महत्व को प्राथमिकता देते हुए उन्हें क्रिकेट छोड़ने के लिए कहा। बाद में उन्हें स्कूल गेम्स फेडरेशन से छात्रवृत्ति मिली।राजनीतिक जीवन की बात करें तो 2013 में उन्होंने सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली जब वे कर्नल के पद पर कार्यरत थे। इसके बाद वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़े और जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। उनका मुकाबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सी पी जोशी से था, जिसे उन्होंने बड़े अंतर से हराया। मोदी सरकार में उन्हें सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री बनाया गया और बाद में खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार भी दिया गया।2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की कृष्णा पूनिया को हराकर अपनी जीत दोहराई। नवंबर 2023 में उन्होंने जोतवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के अभिषेक चौधरी को 50,167 मतों के अंतर से हराया। 30 दिसंबर 2023 को उन्हें राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई।