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UAPA के तहत सरकार को किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने का अधिकार है। इस मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले वह इस पर सुनवाई नहीं करेगा।

दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उन याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिनमें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों में संशोधन को चुनौती दी गई थी। इन संशोधनों के तहत राज्य सरकार को व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित करने और उनकी संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार प्राप्त है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय के पास भेजने का निर्देश दिया।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में सीधे सुनवाई नहीं कर सकती, क्योंकि इसमें जटिल मुद्दे हो सकते हैं और कभी-कभी मामले बड़ी पीठ के पास भी भेजने पड़ते हैं। सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि अन्य उच्च न्यायालय इस अधिनियम में संशोधन के खिलाफ दायर नई याचिकाओं की सुनवाई कर सकते हैं।यह मामला सजल अवस्थी, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स और अमिताभ पांडे द्वारा दायर याचिकाओं से संबंधित था। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने यह तर्क दिया कि शीर्ष अदालत को इस मामले की सुनवाई करनी चाहिए क्योंकि इस मामले में पहले ही नोटिस जारी किया जा चुका था।उन्होंने यह भी कहा कि अधिकांश याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त नौकरशाह हैं, और उनके लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों में उपस्थित होना व्यावहारिक रूप से असुविधाजनक होगा। हालांकि शीर्ष अदालत ने मामले को उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करना ही उचित समझा।

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