यमुनानगर : यहां संत शिरोमणि गुरु रविदास जी महाराज का 648वां प्रकाशोत्सव 12 फरवरी को धूमधाम से मनाया जा रहा है। कहा जाता है कि 1515 ईस्वी में गुरु रविदास जी जिले के कपालमोचन में दो दिन और एक रात के लिए ठहरे थे। इस दौरान उन्होंने सत्संग किया और लोगों को उपदेश भी दिए, जिनका उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। जिस पवित्र स्थान पर गुरु जी ने अपने चरण रखे थे, वहां अब एक भव्य मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में श्रद्धालु नियमित रूप से दर्शन करने आते हैं।गुरु रविदास जी के कपालमोचन आगमन के समय वहां कोई मंदिर नहीं था। जब वे काशी से पंजाब के होशियारपुर जिले के खुरालगढ़ साहिब जा रहे थे, तब उन्होंने इस पावन स्थान पर एक रात विश्राम किया था। कहा जाता है कि खुरालगढ़ में उन्होंने चार साल, दो महीने और ग्यारह दिन तपस्या की थी।गुरु रविदास मंदिर के प्रांगण में एक प्राचीन कुआं भी है। मंदिर के महंत निर्मल दास के अनुसार, जब गुरु रविदास जी ने यहां आराम किया था, तो उन्होंने पानी पीने के लिए एक गड्ढा खोदा था। खुदाई के दौरान यह कुआं मिला, जिसे अब श्रद्धालुओं के लिए पूजनीय मानते हुए संरक्षित किया गया है। मान्यता है कि इस पवित्र जल का सेवन करने से कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं।पहले यहां सिर्फ एक छोटा सा चूने का कमरा हुआ करता था, जो आज भी मंदिर में सुरक्षित है। समय के साथ महंत कृपा दास से लेकर वर्तमान महंत निर्मल दास तक कई महंतों ने इस स्थान की सेवा की है। गुरु रविदास मंदिर सभा के प्रबंधक अमरनाथ ज्ञासड़ा ने बताया कि 16 फरवरी को इस पवित्र स्थान पर लाखों श्रद्धालु एकत्र होंगे। हर साल प्रकाशोत्सव के बाद पहले रविवार को प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें दो लाख से अधिक श्रद्धालु भाग लेते हैं।नवंबर में गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के बाद यह दूसरा बड़ा आयोजन होता है। इसके लिए मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है और यमुनानगर सहित अन्य जिलों, देहरादून, बिजनौर, पंजाब, चंडीगढ़ और राजस्थान से भी श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। 15 हजार निमंत्रण कार्ड छपवाकर विभिन्न गांवों की गुरु रविदास मंदिर समितियों को भेजे गए हैं। भीड़ को ध्यान में रखते हुए 15 स्थानों पर भंडारे की व्यवस्था की गई है। मंदिर में 550 से अधिक गांवों के लोग झांकियां लेकर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से पहुंचेंगे।
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