दिल्ली : कई नेता, जो पहले गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) से जुड़े थे, अब कांग्रेस में वापसी की तैयारी कर रहे हैं। इस संदर्भ में बातचीत अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। संभावित नेताओं में पूर्व विधायक गुलजार वानी और अमीन भट, साथ ही पूर्व मंत्री ताज मोहि-उद-दीन और गुलाम मोहम्मद सरूरी का नाम शामिल है। ये चारों नेता पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव हार गए थे—जहां वानी और भट डीपीएपी के टिकट पर लड़े, वहीं ताज मोहि-उद-दीन और सरूरी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमाई थी।जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने बताया कि वे उन नेताओं के संपर्क में हैं, जिन्होंने आजाद का साथ छोड़ा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ चर्चा हो रही है और हर मामले को सावधानीपूर्वक परखा जाएगा, जिसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। हालांकि, दोनों पक्षों की व्यस्तताओं के कारण निर्णय में देरी हो रही है।डीपीएपी अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो नेता पार्टी छोड़ने की बात कर रहे हैं, वे पहले ही अलग हो चुके हैं और चुनाव भी लड़ चुके हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने कांग्रेस से हमेशा के लिए नाता तोड़ लिया है और उनकी वापसी संभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव से पहले डीपीएपी के कोषाध्यक्ष ताज मोहि-उद-दीन ने ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।गुलाम नबी आजाद द्वारा 2022 में स्थापित डीपीएपी में शामिल होने से पहले ये सभी नेता कांग्रेस से जुड़े थे। हालांकि, डीपीएपी ने पिछले साल 25 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे कोई भी सीट हासिल नहीं हुई। अधिकांश उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। पार्टी की निष्क्रियता के कारण कई नेताओं का मानना है कि खुद गुलाम नबी आजाद ने भी इसमें रुचि खो दी है।एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के अनुसार, इन नेताओं को अब यह एहसास हो रहा है कि डीपीएपी में जाना उनके लिए गलत फैसला था। कांग्रेस आलाकमान की स्वीकृति के बाद उन्हें दोबारा पार्टी में शामिल किया जाएगा।
