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बीजेपी के वो गुप्त रणनीतिकार, जिन्होंने 2 साल की तैयारी से केजरीवाल का किला हिला दिया

दिल्ली : में भारतीय जनता पार्टी ने आखिरकार वह कमाल कर दिखाया, जिसकी कोशिश वह पिछले 27 सालों से कर रही थी। दो दशकों से हर बार चुनाव के करीब आकर भगवा रथ ठहर जाता था, लेकिन इस बार पार्टी ने जबरदस्त जीत दर्ज की। 48 सीटों पर कब्जा जमाकर भाजपा ने आम आदमी पार्टी के लगातार चौथी बार सरकार बनाने के मंसूबों पर पानी फेर दिया। इस जीत का श्रेय जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया जा रहा है, वहीं पार्टी की सुनियोजित रणनीति भी इसमें अहम भूमिका निभाई।आम आदमी पार्टी के मजबूत किले में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने इस बार चुनावी घोषणा के इंतजार में वक्त नहीं गंवाया, बल्कि दो साल पहले ही रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी थी। पार्टी ने कई स्तरों पर विशेष टीमें गठित कीं, जिन्होंने चुनावी योजना को अमल में लाने का काम किया।भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और केंद्रपाड़ा से सांसद बैजयंत पांडा, जो जय पांडा के नाम से भी जाने जाते हैं, ने अपने राजनीतिक अनुभव से पार्टी को काफी लाभ पहुंचाया। बीजू जनता दल (बीजेडी) से अलग होकर 2019 में भाजपा से जुड़े पांडा को दिल्ली चुनावों की कमान सौंपी गई थी। उन्होंने उम्मीदवारों के चयन से लेकर प्रमुख मुद्दों को प्राथमिकता देने तक की जिम्मेदारी निभाई। पार्टी और प्रदेश इकाई के बीच समन्वय स्थापित करने में उनकी भूमिका अहम रही। इससे पहले 2022 के दिल्ली नगर निगम चुनाव में भी वे भाजपा के प्रभारी थे।संघ परिवार के करीबी माने जाने वाले वीरेंद्र सचदेवा को दिल्ली नगर निगम चुनाव में पार्टी की हार के बाद पहले कार्यकारी अध्यक्ष और फिर पूर्ण प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने न सिर्फ आप सरकार को घेरने की रणनीति बनाई, बल्कि पार्टी के भीतर गुटबाजी को नियंत्रित कर एकजुटता कायम की। सचदेवा की अगुवाई में भाजपा ने झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए अभियान भी चलाया।भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष ने दिल्ली में चुनावी निगरानी व्यवस्था को सुदृढ़ किया और यह सुनिश्चित किया कि संघ परिवार की टीमें पूरी सक्रियता से काम करें। इसके अलावा, पार्टी के पुराने, असंतुष्ट वोटर्स को फिर से जोड़ने की दिशा में भी ठोस प्रयास किए गए।दिल्ली में भाजपा के मेनिफेस्टो (घोषणापत्र) को तैयार करने में रामवीर सिंह बिधूड़ी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इससे पहले भाजपा ने सरकारी योजनाओं को उतनी आक्रामकता से प्रचारित नहीं किया था, जितना इस बार किया। उन्होंने मेनिफेस्टो कमेटी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर ऐसी योजनाओं को शामिल किया, जो आम आदमी पार्टी को टक्कर दे सकें, जिनमें महिला सम्मान योजना के तहत ₹2500 की मदद भी शामिल थी।भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा को करीब दो साल पहले दिल्ली संगठन की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने दिल्ली को छोटे-छोटे क्षेत्रों में बांटकर नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी और यह सुनिश्चित किया कि अगर कहीं असंतोष है, तो उसे समय रहते दूर किया जाए। उनके प्रयासों से कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा बना रहा और भाजपा को बूथ स्तर पर किसी तरह की कमी का सामना नहीं करना पड़ा।

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