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यमुनानगर : सरकारी ब्लड बैंक में खून की कमी

यमुनानगर : ब्लड बैंक एक बार फिर आपात स्थिति में पहुंच गया है। वीरवार को तीन ब्लड ग्रुप ऐसे रहे, जिनकी एक भी बोतल सरकारी ब्लड बैंक में नहीं थी। अन्य ग्रुप का भी नाममात्र ही रक्त ब्लड बैंक में बचा था।रक्त की कमी से थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों की परेशानी बढ़ गई है। परिजन अपने डोनर लेकर आ रहे हैं। जिन्हें डोनर नहीं मिल रहा वह लोगों के आगे हाथ जोड़ कर रक्तदान करने के लिए गुहार लगा रहे हैं।जिले में थैलेसीमिया के कुल 151 मरीज हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे हैं। इन बच्चों को इनकी जरूरत के हिसाब से हर सप्ताह या फिर 15 दिन में एक बार रक्त जरूर चढ़ाना पड़ता है। इन बच्चों को रक्त चढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अलग-अलग दिन तय किए हुए हैं। रक्त की कमी से इन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जिला अस्पताल के ब्लॉक-ए में द्वितीय तल पर बच्चों के लिए थैलेसीमिया वार्ड बनाया गया है। जिसमें बच्चों को रक्त चढ़ाया जाता है। बच्चों के अभिभावकों का आरोप है कि अस्पताल का स्टाफ उन्हें बिल्कुल भी सहयोग नहीं करता। अभिभावक जय सिटी निवासी रजनी भारती, सेक्टर-17 हुड्डा की दीप्पी, ईस्माइलपुर की मंदीप व मधुर कॉलोनी की गंगा देवी ने बताया कि उन्हें रक्त चढ़वाने के लिए सुबह आठ बजे बुलाया जाता है।थोड़ा सा भी देरी से पहुंचते हैं तो उन्हें नर्सों द्वारा खरी खोटी सुनाई जाती है। जब तक बच्चों के हाथ में कैनुला नहीं लगेगी तब तक रक्त नहीं चढ़ता। क्योंकि रक्त का सैंपल लेने के बाद ही रक्त की बोतल मिलती है। स्टाफ नर्स घंटों तक कैनुला ही नहीं लगाते। एक बार रक्त की बोतल लगाने के बाद दोबारा कोई वार्ड में देखने तक नहीं आता। जब बोतल खत्म हो जाती है तो परिजन खुद ही उसे बंद करते हैं।
स्टाफ के इस व्यवहार को लेकर अभिभावक वीरवार को यमुनानगर विधायक घनश्याम दास के पास शिकायत लेकर पहुंच गए। इस पर विधायक ने सिविल सर्जन को फोन कर समस्या का का समाधान करने को कहा। इसके बाद सिविल सर्जन डाॅ. मंजीत सिंह ने जिला नागरिक अस्पताल की पीएमओ डॉ. नवजोत कौर से बात की।शिविर कम लगने के कारण ब्लड बैंक में रक्त की कमी चल रही है। स्टाफ नर्स को अपना व्यवहार सुधारने के लिए कहा गया है। सीनियर नर्सिंग ऑफिसर निशा जंग की ड्यूटी लगाई गई है कि वह इस व्यवस्था को देखेंगी। प्रयास यही है कि किसी को कोई परेशानी न हो। – डॉ. नवजोत कौर, पीएमओ जिला नागरिक अस्पताल।

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