यमुनानगर : प्रशासन की मनाही के बावजूद खेतों में पराली जलाने वाले 20 किसानों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उनके खेतों को कृषि विभाग ने ‘रेड एंट्री’ में डाल दिया है। इस निर्णय के चलते ये किसान आने वाले दो वर्षों तक अपनी फसल एमएसपी पर मंडियों में नहीं बेच सकेंगे। ऐसे में पराली जलाने वाले किसानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि अगले सीजन में वे अपनी गेहूं और अन्य फसलें मंडियों में बेचने के अधिकार से वंचित रहेंगे। अब तक जिले में सेटेलाइट मॉनिटरिंग के माध्यम से पराली जलाने के कुल 34 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 20 स्थानों पर पुष्टि हो चुकी है कि पराली जलाई गई थी, जबकि शेष 14 स्थानों का अब भी पता नहीं चल सका है।खेतों में पराली जलाने के सिलसिले में अब तक सात एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। दो दिन पूर्व बाल छप्पर और छछरौली में पराली जलाने के कुछ नए मामले सामने आए थे, जिनके लिए कृषि विभाग के उपनिदेशक ने पुलिस अधीक्षक को कार्रवाई हेतु पत्र भी भेजा है।दिन के समय अधिकारी विभिन्न कार्यों और बैठकों के सिलसिले में यात्रा करते रहते हैं, जिससे उन्हें खेतों में लगी पराली की आग का पता चलने पर तुरंत कार्रवाई करने का अवसर मिल सकता है। इससे बचने के लिए, किसान अक्सर रात में पराली जलाते हैं जब अधिकारी घर जा चुके होते हैं और किसी कार्रवाई का खतरा नहीं रहता। पराली जलाने से खेत की मिट्टी काली हो जाती है, जो उनके पकड़े जाने का खतरा बढ़ा देती है। इससे बचने के लिए किसान जलने के तुरंत बाद खेत में ट्यूबवेल का पानी छोड़ देते हैं ताकि निशान कम हो सकें।कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एपीपीओ डॉ. सतीश अरोड़ा ने बताया कि पराली जलाने के मामलों पर नियमित समीक्षा की जा रही है। अब किसानों पर जुर्माना लगाने की बजाय सीधे एफआईआर दर्ज की जा रही है। अब तक जिले में सात एफआईआर की जा चुकी हैं और 20 किसानों को ‘रेड एंट्री’ में डाल दिया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत धान की पराली जलाने पर रोक के आदेश लागू हैं।