यमुनानगर : कपालमोचन मेला में इस बार एक विशेष आकर्षण घोड़ा और खच्चर मंडी का आयोजन होगा, जिसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा सहित अन्य राज्यों से पशुपालक अपने घोड़े और खच्चर लेकर आएंगे। पशुपालन विभाग के अनुसार, इस मंडी में 800 से अधिक पशुओं के आने की संभावना है। हर साल की तरह, मंडी का आयोजन बिलासपुर-चौराही मार्ग पर नीलकंठ पैलेस के पास होगा। इसमें पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सक, वीएलडीए और अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी, जो 24 घंटे अस्थायी पशु अस्पताल में मौजूद रहकर बीमार पशुओं का इलाज करेंगे।यह मंडी सिर्फ व्यापार के लिए नहीं, बल्कि घोड़ों और खच्चरों की नस्ल सुधारने के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। लोगों को मेले के दौरान इन पशुओं को देखने का बड़ा उत्साह रहता है, और कई पशुपालक अपनी उच्च कीमत वाले घोड़े, जो 25 से 40 लाख रुपये तक की कीमत में बिक सकते हैं, केवल प्रदर्शन के लिए लेकर आते हैं।कुछ साल पहले प्रदेश में घोड़ों में ग्लैंडर्स बीमारी के मामले सामने आए थे, जो इंसानों में भी फैल सकती है। इसी कारण 2018 में इस बीमारी के चलते खच्चर मंडी लगाने की अनुमति नहीं दी गई थी। अब चूंकि इस बीमारी के लक्षण प्रदेश में कम हो गए हैं, इसलिए इस बार मेला और मंडी का आयोजन बिना किसी रोक-टोक के किया जाएगा। पशुपालन विभाग के एसडीओ डॉ. सतबीर सिंह के अनुसार, मंडी स्थल पर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, और पशु अस्पताल शाम तक तैयार हो जाएगा। चूंकि लोग दूर-दूर से अपने पशुओं को लेकर आते हैं, इस दौरान घोड़ों के पैरों में चोट लगने और अन्य बीमारियों का इलाज यहां 24 घंटे उपलब्ध रहेगा, साथ ही दवाइयों की भी पूरी व्यवस्था की गई है।