यमुनानगर : बिलासपुर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कपालमोचन मेले का आयोजन होता है, जहाँ लाखों श्रद्धालु स्नान कर मोक्ष की कामना करते हैं। इस वर्ष मंगलवार को एकादशी के दिन साधुओं का प्रवेश और राजसी स्नान के साथ मेले का शुभारंभ हुआ। श्री षट दर्शन साधु समाज एकता मंडल के नेतृत्व में साधुओं ने कपालमोचन के पवित्र सरोवरों में स्नान किया।साधुओं के स्नान के बाद श्रद्धालुओं का सैलाब सरोवरों की ओर उमड़ पड़ा, जिसमें जय श्रीराम और सनातन धर्म के जयकारे गूंज उठे। इस बार शोभायात्रा की शुरुआत बिलासपुर से न होकर कपालमोचन से की गई। भारतीय रक्षा संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत राम स्वरूप ब्रह्मचारी की अध्यक्षता में सबसे पहले श्री खेड़ा मंदिर, बिलासपुर से पवित्र ज्योति प्रज्ज्वलित की गई और इसे शोभायात्रा में शामिल किया गया। यह शोभायात्रा बैंड-बाजों के साथ कपालमोचन मार्ग, उधम सिंह चौक, गुर्जर धर्मशाला, कांबोज धर्मशाला, और कश्यप धर्मशाला से होते हुए कपालमोचन सरोवर तक पहुँची।साधुओं ने सबसे पहले कपालमोचन सरोवर, ऋणमोचन सरोवर, और सूरजकुंड सरोवर में स्नान किया। महंत राम स्वरूप ने बताया कि जैसे कुंभ मेले में साधुओं के स्नान से इसकी शुरुआत होती है, वैसे ही कपालमोचन मेले की शुरुआत साधुओं के राजसी स्नान से की जाती है। एकादशी पर साधु सबसे पहले स्नान करते हैं, क्योंकि उनके तप की शक्तियाँ स्नान के माध्यम से सरोवर के जल में समाहित हो जाती हैं, जिससे वहां स्नान करने का महत्व बढ़ जाता है।कपालमोचन का महत्त्व केवल हरियाणा में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में है। यह भूमि ऋषियों, तपस्वियों, और साधुओं की रही है। भगवान शिव, श्रीराम, पांडवों, गुरु नानक देव, गुरु रविदास जी, और गुरु गोबिंद सिंह ने भी यहाँ की धरती को पवित्र किया है। इस राजसी स्नान में ब्रह्मचारी राम स्वरूप, महंत बुधनाथ, महंत सुनील दास, महंत नित्यानंद, पंडित मनोज शर्मा, और अनेक साधु-संत उपस्थित रहे।