केरल : हाई कोर्ट ने एक निर्णय में स्पष्ट किया है कि 2013 में वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन का पूर्वव्यापी असर नहीं होता। यह मामला केरल वक्फ बोर्ड द्वारा 1999 से एक वक्फ संपत्ति पर संचालित हो रहे डाकघर के खिलाफ दायर किया गया था। बोर्ड ने कालीकट पोस्टल डिवीजन के वरिष्ठ अधीक्षक और मारिकुन्नु उप डाकघर के पोस्ट मास्टर पर वक्फ संपत्ति के उपयोग को लेकर आपराधिक मामला दायर किया था। हाई कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया कि वक्फ अधिनियम की धारा 52ए, जो 2013 में जोड़ी गई थी और वक्फ संपत्ति पर अवैध कब्जे को अपराध मानती है, उसका प्रावधान 1999 से चल रहे इस मामले पर लागू नहीं होता। न्यायमूर्ति पीवी कुन्हिकृष्णन ने कोझिकोड की एक मजिस्ट्रेट अदालत में लंबित आपराधिक कार्यवाही को निरस्त करते हुए कहा कि यह संशोधन पूर्व के कब्जे पर प्रभावी नहीं होता। वक्फ बोर्ड ने 2018 के ट्रिब्यूनल निर्देशों के बावजूद संपत्ति न खाली करने के कारण डाक अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले में अभियोजन उचित नहीं था।