जम्मू कश्मीर : मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) मुख्य रूप से जल संचयन से जुड़ी समस्याओं के कारण केंद्र शासित प्रदेश की विशाल जल विद्युत संभावनाओं का सही तरीके से उपयोग नहीं हो पा रहा है। भारत और पाकिस्तान ने नौ वर्षों की बातचीत के बाद 1960 में इस संधि पर दस्तखत किए थे, जिसमें विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता था। यह संधि जम्मू कश्मीर में कई सीमा पार नदियों के पानी के उपयोग पर दोनों देशों के बीच सहयोग और सूचना साझा करने का एक ढांचा तैयार करती है।अब्दुल्ला (जिनके पास ऊर्जा विभाग का कार्यभार भी है) ने यहां राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में कहा कि संधि से उत्पन्न होने वाली बाधाओं के कारण जम्मू कश्मीर को सर्दियों में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जब बिजली उत्पादन में कमी आ जाती है, जिससे स्थानीय लोगों को परेशानियां होती हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि जल विद्युत जम्मू कश्मीर का प्रमुख ऊर्जा स्रोत है, और इसे अन्य राज्यों से बिजली के आयात पर निर्भर रहना पड़ता है, जो क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर डालता है।