लखनऊ : स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) का एक अलग स्थान है। यहां इलाज के लिए दूर-दराज के जिलों से बड़ी संख्या में मरीज पहुंचते हैं, जिससे अस्पताल पर मरीजों का काफी दबाव बन जाता है। इसी स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश में कुछ संदिग्ध लोग सक्रिय हो जाते हैं। इसमें केजीएमयू के कुछ जूनियर रेजिडेंट (जूनियर डॉक्टर) भी कथित रूप से शामिल होते हैं। ये रेजिडेंट बेहतर इलाज का झांसा देकर मरीजों को निजी अस्पतालों में भेजने का काम करते हैं।केजीएमयू प्रशासन को इसकी जानकारी मिलने के बाद ट्रॉमा सेंटर में तैनात पांच जूनियर रेजिडेंट (नॉन-पीजी) की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। जानकारी के अनुसार, केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में लगभग 450 बेड हैं, जिनमें अधिकांश समय सभी भरे रहते हैं। हालात ऐसे हैं कि रोजाना 100 से अधिक घायलों का इलाज स्ट्रेचर पर ही किया जाता है। मरीजों की अधिक संख्या के कारण विशेषकर शाम और रात के समय आने वाले घायलों को बेड उपलब्ध कराने में समस्या होती है।इसका फायदा उठाते हुए, कुछ रेजिडेंट मरीजों को तय निजी अस्पतालों में भेजते हैं, जहां अस्पतालों की एंबुलेंस ट्रॉमा सेंटर के बाहर पहले से ही तैयार खड़ी रहती हैं। ये एंबुलेंस मरीजों को तुरंत वहां पहुंचा देती हैं। केजीएमयू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कुछ जूनियर रेजिडेंट (नॉन-पीजी) के खिलाफ इस प्रकार की शिकायतें प्राप्त हुई थीं। जांच में ये आरोप सही पाए जाने पर संबंधित रेजिडेंट्स को हटा दिया गया है।