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15 वर्षों में पहली बार, भारत ने चीन को पीछे छोड़ा, जानिए पूरी कहानी!

दिल्ली : भारत ने 2023-2024 के शैक्षणिक सत्र में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का मुख्य स्रोत बनकर संयुक्त राज्य अमेरिका में चीन को पीछे छोड़ दिया है। यह बदलाव 15 सालों के बाद देखने को मिला है। अमेरिकी कॉलेजों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 23% की वृद्धि हुई है, जिससे इनकी कुल संख्या 3.3 लाख तक पहुंच गई है। यह आंकड़े ओपन डोर्स रिपोर्ट के अनुसार सामने आए हैं, जिसे राज्य के शैक्षिक और सांस्कृतिक मामलों के ब्यूरो और इंटरनेशनल एजुकेशन इंस्टीट्यूट ने प्रकाशित किया है।वहीं, चीन से अमेरिका जाने वाले छात्रों की संख्या में 4% की गिरावट दर्ज की गई है। कुल मिलाकर, भारत और चीन मिलकर अमेरिका में पढ़ने वाले आधे अंतरराष्ट्रीय छात्रों का योगदान करते हैं। इनमें से अधिकांश छात्र कंप्यूटर विज्ञान, इंजीनियरिंग और गणित जैसे एसटीईएम कोर्स में दाखिला लेते हैं।इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन के सीईओ एलन गुडमैन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों के मामले में यह साल अमेरिका के लिए रिकॉर्ड तोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय छात्र न केवल परिसरों में सांस्कृतिक विविधता लाते हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी बड़ा लाभ पहुंचाते हैं। अमेरिका इन छात्रों का स्वागत करने और देश को वैश्विक शिक्षा का प्रमुख केंद्र बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।गौरतलब है कि स्नातक कार्यक्रमों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में 19% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में 41% की वृद्धि दर्ज की गई है। महामारी के बाद अमेरिका में छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है, जिससे अब यह आंकड़ा 1.12 मिलियन तक पहुंच गया है। इन छात्रों का अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान है, जिसमें हर साल 7% की वृद्धि हो रही है।हालांकि, अमेरिका अकेला ऐसा देश नहीं है जहां भारतीय छात्रों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर है।

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