बिहार : विधानसभा में उस समय तनावपूर्ण स्थिति बन गई जब विपक्ष के एक विधायक ने मुख्यमंत्री के लिए आरक्षित सीट पर बैठने की चेतावनी दी। यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब प्रश्नकाल के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन से बाहर चले गए। इसी दौरान, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता आलोक मेहता ने सत्ता पक्ष की सीट पर राजद के बागी विधायकों के बैठने को लेकर विरोध जताने के लिए खड़े होकर कहा कि, “बैठने की सही व्यवस्था होनी चाहिए। यदि लोग अपनी मर्जी से कहीं भी बैठने लगेंगे, तो इससे अव्यवस्था पैदा होगी।”इस बीच, राजद, कांग्रेस और वामपंथी दलों के अन्य विधायकों ने नारेबाजी करते हुए सदन के बीचों-बीच प्रदर्शन किया। अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने चेतावनी दी कि जब तक सभी विधायक अपनी-अपनी सीटों पर नहीं लौटते, उनकी कोई भी बात सदन की कार्यवाही में दर्ज नहीं की जाएगी।स्थिति तब और गंभीर हो गई जब मनेर के विधायक भाई वीरेंद्र मुख्यमंत्री की सीट के पास जाकर खड़े हो गए और यह संकेत देने लगे कि वे उस सीट पर बैठने वाले हैं। इस पर अध्यक्ष ने सख्ती दिखाते हुए कहा, “ऐसा करना गंभीर परिणाम ला सकता है।” अध्यक्ष ने मार्शलों को बुलाने का आदेश दिया और राजद विधायक को बाहर निकालने की चेतावनी दी, लेकिन स्थिति को देखते हुए सदन की कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी।इसके बाद विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अध्यक्ष से उनके कक्ष में मुलाकात की। तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनकी शिकायत उन विधायकों को लेकर है, जिन्होंने दलबदल किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका पर अध्यक्ष द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। तेजस्वी ने यह भी दावा किया कि अध्यक्ष ने इस मामले में जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है।गौरतलब है कि बजट सत्र के दौरान राजद और कांग्रेस के सात विधायक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो गए थे। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि इन विधायकों को सत्ता पक्ष की सीटों पर बैठने की अनुमति देना अन्यायपूर्ण है। वहीं, भाई वीरेंद्र ने मीडिया से कहा कि उनका उद्देश्य सिर्फ चेतावनी देना था, न कि वास्तव में मुख्यमंत्री की सीट पर बैठना। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष को बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करना चाहिए या उन्हें विपक्ष की जगह अलग स्थान पर बैठाने का निर्देश देना चाहिए।