दिल्ली : विपक्ष ने लोकसभा से बहिर्गमन किया। विपक्ष की तरफ से गौतम अडानी से संबंधित रिश्वत मामले और संभल हिंसा जैसे मुद्दे शीतकालीन सत्र में उठाए गए। यह घटनाक्रम उस समय हुआ जब एक दिन पहले सरकार और विपक्ष ने लोकसभा तथा राज्यसभा के कार्यों के संचालन पर सहमति बनाई थी। हालांकि, इंडिया गठबंधन में दरार तब सामने आई जब गौतम अडानी के मामले पर संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन में तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी शामिल नहीं हुईं। राहुल गांधी और कुछ कांग्रेस नेता विरोध में शामिल हुए। अडानी मामले पर संसद में विरोध प्रदर्शन के दौरान टीएमसी का हिस्सा न होने पर टीएमसी सांसद समिक भट्टाचार्य ने कहा कि गठबंधन की स्थिति स्पष्ट हो रही है। कभी टीएमसी तो कभी आम आदमी पार्टी गायब रहती है। कांग्रेस जहां भी जाती है, वहां जनता उन्हें नकार देती है, और अब संसद ही उनका एकमात्र रास्ता बचा है। भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि ममता बनर्जी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को गठबंधन का चेहरा बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन अब वे शामिल नहीं हैं, यह सब महज ड्रामा है और लोकतंत्र की मर्यादा को नुकसान पहुंचा रहा है। कांग्रेस सांसदों ने तख्तियां ली थीं जिन पर लिखा था, “मोदी-अडानी एक हैं” और “भारत अदानी पर जवाबदेही चाहता है”। इसके बीच विपक्ष ने लोकसभा से बहिर्गमन किया क्योंकि अडानी पर आरोप और संभल हिंसा जैसे मुद्दे शीतकालीन सत्र की कार्यवाही को प्रभावित कर रहे थे। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि उन्होंने आज सुबह से सदन में सहयोग का निर्णय लिया था, लेकिन पहले विरोध करना पड़ा। कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि वे कई मुद्दों पर चर्चा चाहते हैं, जिनमें अडानी का मुद्दा, संभल, अजमेर, बांग्लादेश और मणिपुर जैसे मुद्दे शामिल हैं, लेकिन सरकार उन्हें इन मुद्दों पर चर्चा नहीं करने दे रही है।