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सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण को लेकर 15 जनवरी को होगी सुनवाई, दिल्ली की तरह यूपी और हरियाणा में भी पटाखों पर लगाया जाए बैन

दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने 19 दिसंबर को उत्तर प्रदेश और हरियाणा को राष्ट्रीय राजधानी और उसके आसपास के क्षेत्रों में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मद्देनज़र दिल्ली के समान पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करने का आदेश दिया। अदालत ने यह भी कहा कि 19 दिसंबर 2024 के आदेश के तहत दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध जारी रहेगा, और जनवरी 2025 में इसे बढ़ाने पर विचार किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर सुनवाई की, जिसमें सालभर के लिए पटाखों पर प्रतिबंध, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के कार्यान्वयन पर चर्चा की गई। अदालत ने एनसीआर क्षेत्र के सभी राज्यों को जीआरएपी 4 से प्रभावित श्रमिकों को गुजारा भत्ता देने का भी निर्देश दिया। राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसे जीआरएपी 4 से प्रभावित कर्मचारियों के रूप में पहचाना जाए। केवल पोर्टल पर पंजीकरण पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होगा। यदि कोर्ट के आदेशों के बावजूद मजदूरों को गुजारा भत्ता नहीं दिया गया, तो राज्य सरकारों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकारों से 5 जनवरी तक इस संबंध में जवाब दाखिल करने को कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर राज्यों को पुलिस, राजस्व और अन्य विभागों के अधिकारियों की टीम बनाने का निर्देश दिया है, जो दिल्ली के प्रवेश बिंदुओं पर जाकर जीआरएपी IV के अनुपालन की निगरानी करेंगे।केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली की वायु गुणवत्ता गुरुवार को ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी में पहुंच गई, और शाम 4 बजे 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 451 दर्ज किया गया। शहर में प्राथमिक प्रदूषक PM2.5 का स्तर खतरनाक रूप से उच्च था, जिसमें 35 निगरानी स्टेशनों में से 32 ने वायु गुणवत्ता को गंभीर प्लस श्रेणी में दर्ज किया। कुछ इलाकों में AQI रीडिंग 470 तक पहुंची। PM2.5 कण, जो 2.5 माइक्रोमीटर या उससे छोटे होते हैं, स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं क्योंकि यह सांस के साथ फेफड़ों में गहरे तक प्रवेश कर सकते हैं।

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