महाराष्ट्र : शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने सोमवार को महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि यह गठबंधन वैचारिक समानता के आधार पर नहीं, बल्कि राजनीतिक सत्ता की लालसा के चलते बना है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह गठबंधन अपनी पार्टियों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से एकजुट होता है और उसके बाद ही सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू करता है।राउत ने कहा कि गठबंधन सरकार के सदस्य चाहे जितना दावा करें कि वे वैचारिक कारणों से एक साथ हैं, लेकिन वास्तविकता इससे भिन्न है। उन्होंने कहा, “वे सत्ता हासिल करने के लिए साथ आते हैं। उनका मुख्य ध्यान अपनी पार्टी के आर्थिक हितों को साधने पर होता है, न कि जनता की भलाई पर।”अभिभावक मंत्रियों के पदों के आवंटन को लेकर जारी चर्चा पर राउत ने कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि सरकार बनने में ही देरी हुई और अब पोर्टफोलियो के बंटवारे में भी समय लग रहा है। उन्होंने कहा, “सरकार बनने में पहले तो देरी हुई, और जब सरकार बनी, तो विभागों का बंटवारा करने में एक महीना लग गया। अब पालकमंत्री पदों को लेकर खींचतान चल रही है, जो अंत तक जारी रहेगी।”राउत ने सवाल किया कि संरक्षक मंत्री बनने से जनता को क्या लाभ होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बीड जिले में चाहे पंकजा मुंडे संरक्षक मंत्री बनें या धनंजय मुंडे, क्या संतोष देशमुख को न्याय मिलेगा? परभणी के संरक्षक मंत्री चाहे जो भी हों, क्या पुलिस हिरासत में मारे गए सोमनाथ सूर्यवंशी को इंसाफ मिलेगा? ठाणे के संरक्षक मंत्री चाहे जो बनें, क्या कल्याण में मराठी परिवारों के साथ हुए अन्याय का समाधान होगा?उन्होंने आगे आरोप लगाया कि गढ़चिरौली के संरक्षक मंत्री नक्सलवाद के समाधान के लिए काम नहीं करते, बल्कि खनन कंपनियों के हित साधने के लिए इस पद का उपयोग करते हैं। राउत ने कहा, “यह केवल सत्ता बनाए रखने का एक और तरीका है। मेरे आकलन के अनुसार, इन पदों का उपयोग जनता के लाभ के लिए नहीं, बल्कि निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए किया जाता है।”