यमुनानगर : वीरवार का दिन यमुनानगर जिले का एक बार फिर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। जब रादौर से भाजपा विधायक श्याम सिंह राणा को नायब सैनी सरकार में मंत्री पद मिला। इससे जहां फिर से जिले का मंत्री पद बरकरार रहा, वहीं विकट परिस्थितियों में राणा द्वारा रादौर सीट को कांग्रेस से छीन कर भाजपा की झोली में डाल कर इनाम भी पाया।यमुनानगर के तीन बार के विधायक घनश्याम दास अरोड़ा भी मंत्री पद के लिए दावेदारी कर रहे थे श्याम सिंह राणा मूलरूप से जिला कुरुक्षेत्र के गांव चनार रेहड़ी के रहने वाले हैं। उसके बाद वे यमुनानगर के रादौर की विश्वकर्मा कॉलोनी में आकर रहने लगे थे। राणा की आयु 76 वर्ष है और उन्होंने 1973 में कुरुक्षेत्र विवि से बीए की थी। राणा इनेलो में शामिल होने से पहले बीजेपी के कई पदों पर आसीन रह चुके थे। वह बीजेपी के जिलाध्यक्ष व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भी रहे।
श्याम सिंह राणा अनुभवी और शांत नेता की पहचान रखते हैं। उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने से समर्थकों में खासा उत्साह है। उन्हें मंत्री बनाए जाने के दो कारण माने जा रहे हैं। एक तो वह क्षत्रिय समाज का बड़ा चेहरा। दूसरा उनको हरियाणा की राजनीति का एक लंबा तजुर्बा है। 2019 में हार के बाद भाजपा ने इस बार श्याम सिंह राणा के चेहरे पर दांव लगाकर उन्हें टिकट दिया था।जैसे ही उनके नाम की घोषणा हुई तो दिग्गज नेता कर्णदेव कांबोज ने बगावत कर दी। उस समय माना जा रहा था कि यह चुनाव भाजपा के लिए इस बार भी भारी पड़ने वाला है। लेकिन, पार्टी ने अपना फैसला नहीं बदला और श्याम सिंह राणा को ही मैदान में उतार दिया। उन्होंने हर परिस्थितियों से समन्वय करते हुए चुनाव लड़ा और कांग्रेस के मौजूदा विधायक डॉ. बिशन लाल सैनी को 13312 वोटों से हराकर जीत दर्ज की। जीत के बाद से ही कयास लगाए जाने लगे थे कि श्याम सिंह राणा को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
चुनाव प्रचार के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने यमुनानगर जिले में चुनावी जनसभा को संबोधित किया था। उस समय उन्होंने मंच से ही श्याम सिंह राणा को लेकर कहा था कि उनके लिए उन्हें काफी कुछ सुनना पड़ा है। चुनावी मैदान में डटकर खड़े रहना है। श्याम सिंह राणा ने मंच पर गृहमंत्री को जीत का भरोसा दिलाया था और जीत दर्ज की। जिस कारण उन्हें मंत्री मंडल में शामिल कर इसका पुरस्कार दिया गया है।भाजपा के लिए रादौर सीट बन गई थी प्रतिष्ठा की जंग रादौर सीट पर बगावत होने के बाद यह सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई थी। श्याम सिंह राणा पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के करीबी नेता माने जाते हैं। वहीं बगावत के बाद पार्टी हाईकमान भी सीट पर सीधे तौर पर नजर रखे हुए था। श्याम सिंह राणा की जीत से हाईकमान ने अपने फैसले को सही मानते हुए उनका कद बढ़ाया है।पहला चुनाव 2009 में लड़ा, 2014 में बने थे विधायक श्याम सिंह राणा ने वर्ष 2009 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा था। उस समय वह चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2014 में फिर से चुनाव लड़ा और भाजपा लहर पर सवार होकर 38 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी। 2024 में वह दूसरी बार जीत दर्ज कर विधानसभा की दहलीज तक पहुंचे।