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लोकसभा में अखिलेश ने महाकुंभ हादसे का मामला उठाया, पूछा- सरकार मौतों के आंकड़े छिपाने का कारण बताए

उत्तर प्रदेश : समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने लोकसभा में महाकुंभ की व्यवस्था पर सरकार से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए सर्वदलीय बैठक बुलाने की अपील की। उन्होंने महाकुंभ के दौरान भगदड़ में मारे गए लोगों का सही आंकड़ा सार्वजनिक करने और आंकड़े छिपाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि जिस तरह सरकार बजट के आंकड़े पेश करती है, उसी प्रकार महाकुंभ में मृतकों का भी आंकड़ा दिया जाए।उन्होंने सुझाव दिया कि महाकुंभ आपदा प्रबंधन और खोया-पाया केंद्र की जिम्मेदारी सेना को सौंपी जानी चाहिए। सपा अध्यक्ष ने सरकार से यह भी आग्रह किया कि दुर्घटना में जान गंवाने वालों, घायलों के इलाज, दवाओं, डॉक्टरों, भोजन, पानी, और परिवहन से जुड़ी जानकारियां संसद में साझा की जाएं। उन्होंने महाकुंभ त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और सच्चाई छिपाने वालों को दंडित करने का अनुरोध किया।भाजपा पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने पूछा कि यदि कोई अपराध नहीं हुआ तो आंकड़े छिपाए क्यों गए। उन्होंने कहा कि घटना के बाद जब शव अस्पताल और मुर्दाघर में पड़े थे, तब सरकार ने हेलीकॉप्टर से फूलों की पंखुड़ियाँ बरसाईं। उन्होंने इस परंपरा पर सवाल उठाते हुए कहा कि भगदड़ स्थल पर चप्पलें, कपड़े और साड़ियां पड़ी थीं जिन्हें जेसीबी और ट्रैक्टर से उठाया गया। यह भी आरोप लगाया कि मामले को दबाने के लिए मिठाइयां बांटने और दबाव डालने की खबरें आ रही हैं।उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि जब देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने शोक व्यक्त किया, तब राज्य सरकार ने 17 घंटे बाद इसे स्वीकार किया। इन्वेस्टमेंट मीट का जिक्र करते हुए अखिलेश ने कहा कि बड़े-बड़े एमओयू के दावे किए गए थे, लेकिन उन्होंने सवाल किया कि जमीन पर कितना निवेश आया है। उन्होंने तंज कसा कि ऐसा लग रहा है जैसे सरकार के डबल इंजन आपस में ही टकरा रहे हैं।

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