दिल्ली : समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा में बोलते हुए कहा कि वे अपने विपक्षी सहयोगियों की तरह केंद्रीय बजट का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बजट विशिष्ट वर्गों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया है, जिसमें मुख्य रूप से धनाढ्य वर्ग, बड़े उद्योगपति और संपन्न लोग शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस बजट में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की कोई ठोस योजना नहीं दिखती। उनके अनुसार, बजट पेश होते ही कुछ घटनाओं की तस्वीरें सामने आईं, जो सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़ा करती हैं।अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा कि क्या पिछले दस बजट सिर्फ इसलिए बनाए गए थे कि जब ग्यारहवां बजट आए तो देश और दुनिया इस बात की गवाह बने कि भारतीय नागरिकों को हथकड़ी लगाकर वापस भेजा जा रहा है?इसी बहस में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए बजट के विभिन्न पहलुओं की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने न केवल वर्तमान बल्कि आने वाली पीढ़ियों पर भी कर्ज का भारी बोझ डाल दिया है। बजट पर चर्चा के दौरान तिवारी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कई आर्थिक सिद्धांत अपनाए गए, जिन्होंने परिवर्तनकारी भूमिका निभाई, लेकिन सरकार की नोटबंदी नीति अपने उद्देश्यों को पूरा करने में पूरी तरह विफल रही।उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह 35.99 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, जबकि नोटबंदी के समय यह आंकड़ा 16 लाख करोड़ रुपये के आसपास था। उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में घाटे में मामूली गिरावट देखी गई है, लेकिन सरकार ने बड़ी चालाकी से इसके आकलन की पद्धति में बदलाव कर दिया।इसके अलावा, तिवारी ने सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह संसदीय परंपराओं के अनुरूप नहीं है। इस पर केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने सफाई देते हुए बताया कि वित्त मंत्री राज्यसभा में मौजूद हैं।
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