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“पूजा खेडकर को जमानत या हिरासत? दिल्ली हाई कोर्ट अग्रिम जमानत याचिका पर करेगा फैसला।”

दिल्ली : उच्च न्यायालय सोमवार को पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर अपना फैसला सुनाने वाला है। खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में ओबीसी और विकलांगता कोटे के तहत अनुचित लाभ उठाने के लिए धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज़ों का उपयोग किया। न्यायमूर्ति चंदर धारी सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने 27 नवंबर, 2024 को इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था और अंतिम निर्णय तक खेडकर को दी गई अंतरिम सुरक्षा की अवधि बढ़ा दी थी।खेडकर ने अपने वकील बीना माधवन के माध्यम से दावा किया कि वह जांच में पूरी तरह सहयोग करने को तैयार हैं और उनकी हिरासत में पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं है। इसके विपरीत, दिल्ली पुलिस के विशेष लोक अभियोजक संजीव भंडारी ने अदालत में तर्क दिया कि इस मामले में एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश करना अभी बाकी है और इसके लिए खेडकर से हिरासत में पूछताछ आवश्यक हो सकती है।दिल्ली पुलिस का आरोप है कि खेडकर ने नाम परिवर्तन और अन्य माध्यमों से धोखाधड़ी कर लाभ उठाने का प्रयास किया। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, नए और गंभीर तथ्य सामने आ रहे हैं।इस बीच, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने खेडकर के खिलाफ लगाए गए झूठी गवाही के आरोपों से संबंधित अपना आवेदन यह कहते हुए वापस ले लिया कि वह एक अलग आवेदन दायर करेगा। यूपीएससी का आरोप है कि खेडकर ने अदालत को गुमराह करने के लिए झूठा हलफनामा दिया। आयोग ने स्पष्ट किया कि उसने खेडकर के बायोमेट्रिक डेटा को कभी एकत्र नहीं किया और उनके द्वारा किया गया यह दावा पूरी तरह से गलत है।यूपीएससी ने कहा कि अब तक की सिविल सेवा परीक्षाओं के व्यक्तित्व परीक्षण के दौरान किसी भी उम्मीदवार से कोई बायोमेट्रिक जानकारी जैसे उंगलियों के निशान या अन्य डेटा एकत्र नहीं किया गया है। खेडकर पर झूठे बयानों के आधार पर न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास करने का भी आरोप लगाया गया है।

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