महाराष्ट्र : मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बड़ी राहत देते हुए, बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र विधान परिषद में 12 एमएलसी की नियुक्ति को लेकर तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले के खिलाफ शिवसेना यूबीटी द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। यह विवाद नवंबर 2020 में शुरू हुआ, जब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने एमएलसी के नामांकित व्यक्तियों की सूची राज्यपाल को सिफारिश की थी। हालांकि, तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इन सिफारिशों पर कोई निर्णय नहीं लिया, जिसके परिणामस्वरूप अवैध पॉकेट वीटो का आरोप लगाया गया। स्थिति तब और जटिल हो गई, जब 2022 में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की नई कैबिनेट ने इस लंबित सूची को वापस ले लिया। सुनील मोदी ने जनहित याचिका दायर की, जिसमें इस वापसी को अतिशयोक्ति बताते हुए राज्यपाल की निष्क्रियता और नए मंत्रिमंडल द्वारा नामांकनों को वापस लेने की वैधता को चुनौती दी थी। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की बेंच इस मामले में राज्यपाल की भूमिका की जांच कर रही थी और यह भी कि क्या विभिन्न मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णयों में अंतर होना चाहिए। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सात नए एमएलसी नामों की सूची को मंजूरी दी, जिसके बाद मोदी को नई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनका तर्क था कि जब तक अदालत का निर्णय नहीं आता, राज्यपाल इन नामों को मंजूरी नहीं दे सकते थे।