दिल्ली : हाई कोर्ट ने यूपीएससी धोखाधड़ी मामले में बर्खास्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) प्रशिक्षु पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया। उन पर फर्जी पहचान दिखाकर यूपीएससी परीक्षा में निर्धारित सीमा से अधिक प्रयास करने का आरोप है, जिससे उन्होंने धोखाधड़ी से लाभ उठाया। उच्च न्यायालय ने कहा कि खेडकर के कदम “सिस्टम में हेरफेर करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे।” न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला “न केवल संवैधानिक संस्था यूपीएससी के खिलाफ, बल्कि समाज के समग्र हित में धोखाधड़ी का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।” कोर्ट ने यह भी कहा कि अग्रिम जमानत देने से जांच में बाधा उत्पन्न हो सकती है, जिससे साजिश का पूरी तरह से पर्दाफाश करना मुश्किल हो जाएगा।न्यायमूर्ति सिंह ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि अदालत को प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि आरोपियों का आचरण एक व्यापक साजिश का हिस्सा है, और यह साजिश केवल जांच एजेंसी को जांच करने का अवसर देने के बाद ही पूरी तरह उजागर हो सकती है। यदि खेडकर को अग्रिम जमानत दी जाती है, तो यह जांच में बाधा डाल सकती है। केंद्र ने खेडकर को यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अधिक प्रयासों के लिए अपनी पहचान फर्जी बनाने के आरोप में आईएएस से बर्खास्त कर दिया। अधिकारियों के अनुसार, खेडकर को जांच पूरी होने के बाद छुट्टी दे दी गई, जो एक शब्द है जिसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब एक परिवीक्षाधीन अधिकारी को बर्खास्त कर दिया जाता है। खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के लिए आवेदन में जानकारी गलत तरीके से प्रस्तुत कर आरक्षण का लाभ प्राप्त किया। दिल्ली पुलिस के वकील और यूपीएससी के वकील ने गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका का विरोध किया।