दिल्ली : हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पर कार्रवाई में ढिलाई बरतने के लिए फटकार लगाई। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि सरकार ने विधानसभा सत्र को स्थगित करने के मामले में अपने कदम पीछे खींच लिए, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठता है। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार को तुरंत सीएजी की रिपोर्ट अध्यक्ष को भेजनी चाहिए थी और इसे सदन में चर्चा के लिए लाना चाहिए था।सूत्रों के मुताबिक, सीएजी की रिपोर्ट में दिल्ली सरकार की शराब नीति में कथित अनियमितताओं के कारण सरकारी खजाने को 2,026 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होने का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में लाइसेंस जारी करने में महत्वपूर्ण खामियां, नीतिगत भटकाव और उल्लंघनों की ओर इशारा किया गया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि नीति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रही और आप नेताओं के कथित रूप से रिश्वत से लाभ उठाने का आरोप भी रिपोर्ट में शामिल है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अगुवाई वाले मंत्रियों के समूह ने नजरअंदाज किया।नवंबर 2021 में पेश की गई शराब नीति का उद्देश्य दिल्ली में शराब खुदरा बाजार को पुनर्जीवित करना और राजस्व में वृद्धि करना था, लेकिन इसके बाद भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के कारण ईडी और सीबीआई ने जांच शुरू की। इस दौरान अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह समेत आप के कई वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार किया गया।