दिल्ली : उच्च न्यायालय ने 2022 में अमेरिकी दूतावास द्वारा दायर एक शिकायत पर आधारित वीजा धोखाधड़ी की एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया, और यह टिप्पणी की कि आरोपी छात्र फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग करके पूरे सिस्टम को धोखा देने की कोशिश कर रहे थे। इस मामले में आरोपी पदी साई चंदू रेड्डी और देवा मनीष पर 5 अप्रैल, 2022 को चाणक्यपुरी पुलिस ने मामला दर्ज किया था। दोनों ने जाली दस्तावेजों के आधार पर वीजा के लिए आवेदन किया था और जब इसका खुलासा हुआ, तो उन्हें अमेरिका में हिरासत में लिया गया था। एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए दोनों ने तर्क दिया कि वे केवल व्यवस्था के शिकार हैं और असल में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक सही उम्मीदवार हैं। उनका यह भी कहना था कि धोखाधड़ी केवल एजेंटों द्वारा की गई है। 17 दिसंबर के आदेश में न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया, और कहा कि धोखाधड़ी और जालसाजी का अपराध स्पष्ट है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता (रेड्डी और मनीष) समाज के शिकार नहीं हो सकते, बल्कि इस समय यह माना जा सकता है कि वे धोखाधड़ी के अपराधी हैं। अदालत ने यह भी कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता निर्दोष छात्र हैं जो विदेश जाने की चाह रखते थे और समाज के शिकार हैं, बल्कि वे अपनी झूठी योग्यता दिखाकर विदेश जाने के लिए फर्जी प्रमाणपत्र प्राप्त करने का प्रयास कर रहे थे। रेड्डी ने अपना वीजा आवेदन यह दावा करते हुए प्रस्तुत किया था कि उन्होंने सॉफ्टेक कंप्यूटर्स, वारंगल से मशीन लर्निंग विद पायथन में एक कोर्स पूरा किया है।