दिल्ली : यह रिपोर्ट, जिसे जेएनयू की प्रोफेसर मनुराधा चौधरी और प्रीति दास ने तैयार किया है, दिल्ली-एनसीआर में तेजी से बदलती जनसांख्यिकी और इसके कारण उत्पन्न सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का खुलासा करती है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासियों की बढ़ती उपस्थिति ने संसाधनों पर भारी दबाव डाला है, जिससे शहरी ढांचे और रोजगार बाजार में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं।शोध में बताया गया है कि निर्माण क्षेत्र में पहले जो काम पूर्वांचल और अन्य राज्यों के श्रमिकों को मिलता था, वह अब इन अप्रवासी समुदायों के पास चला गया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कुछ राजनीतिक संरक्षण के चलते इन समूहों का प्रभाव बढ़ रहा है। इसके चलते दिल्ली के चुनावी समीकरण भी प्रभावित हो रहे हैं।प्रोफेसरों ने अपनी रिपोर्ट में सीलमपुर, जामिया नगर, जाकिर नगर, सुल्तानपुरी, मुस्तफाबाद, जाफराबाद, द्वारका और गोकलपुरी जैसे इलाकों में इन प्रवासियों के बसने की प्रवृत्ति पर विशेष ध्यान दिया है। इस प्रवास के चलते 280 में से 147 वार्डों की जनसंख्या संरचना बदल गई है, जो विधानसभा चुनावों के परिणामों को सीधे प्रभावित करने की क्षमता रखती है।रिपोर्ट के खुलासों के आधार पर भाजपा ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। भाजपा प्रवक्ता का कहना है कि राजनीतिक संरक्षण के चलते इन प्रवासियों का प्रभाव बढ़ा है और इनका अपराध जगत से भी संबंध है। उन्होंने मतदाताओं को सचेत रहने और समझदारी से मतदान करने की सलाह दी है ताकि शहर की सुरक्षा और स्थिरता बनी रहे।
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