महाराष्ट्र : सरकार ने जबरन धर्म परिवर्तन और कथित लव जिहाद के मामलों से निपटने के लिए संभावित कानून के कानूनी ढांचे की जांच करने हेतु एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजय वर्मा कर रहे हैं, जिसमें महिला एवं बाल कल्याण, अल्पसंख्यक मामले, कानून एवं न्यायपालिका, सामाजिक न्याय, विशेष सहायता और गृह विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।शुक्रवार देर रात जारी किए गए एक सरकारी आदेश के अनुसार, यह समिति जबरन धर्मांतरण और कथित लव जिहाद से जुड़ी शिकायतों पर विचार करेगी और इससे निपटने के लिए संभावित उपाय सुझाएगी। इसके अलावा, यह अन्य राज्यों में लागू मौजूदा कानूनों की समीक्षा कर आवश्यक कानूनी प्रावधानों की सिफारिश करेगी।श्रद्धा वाकर मामले के बाद, महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया है। वाकर, जो महाराष्ट्र की निवासी थी, 2022 में एक गंभीर अपराध की शिकार हुई थी, जब उसके लिव-इन पार्टनर आफताब पूनावाला ने कथित रूप से उसकी हत्या कर दी और उसके शरीर के टुकड़े कर दिए थे।सरकार के इस कदम की विपक्षी दलों ने आलोचना की है। एनसीपी (शरद पवार गुट) की नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि विवाह या प्रेम व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विषय है, और सरकार को असली मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के बाद, अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ का प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, और सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने भी इस पहल की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार का ध्यान केवल एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने और समाज में विभाजन पैदा करने पर केंद्रित है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से अंतरधार्मिक विवाह करना चाहता है या धर्म परिवर्तन करता है, तो इसे गलत नहीं माना जाना चाहिए।
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