दिल्ली : विधानसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन के प्रमुख दलों को हाल ही में मिली असफलताओं ने आत्ममंथन और रणनीतिक पुनर्गठन की आवश्यकता को जन्म दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भविष्य की चुनावी चुनौतियों से निपटने के लिए गठबंधन के भीतर बेहतर तालमेल पर जोर दिया। उन्होंने 2020 के बिहार चुनावों का उल्लेख करते हुए कहा कि कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के कारण महागठबंधन की जीत की संभावनाएं प्रभावित हुई थीं।सिब्बल ने यह भी इंगित किया कि पूर्व में राजद ने कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर सवाल उठाए थे, जिससे आंतरिक मतभेद गठबंधन की सामूहिक शक्ति को कमजोर कर सकते हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा की सफलता को देखते हुए उन्होंने माना कि एक सशक्त नेतृत्व और संगठित रणनीति के चलते भाजपा को लाभ मिलता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि शरद पवार का दृष्टिकोण राष्ट्रीय चुनावों पर केंद्रित है और क्षेत्रीय चुनावों में गठबंधन की रणनीति अलग होनी चाहिए।राज्यसभा सांसद ने कहा कि कांग्रेस हमेशा सहमति बनाकर साथ काम करने का प्रयास करती है, हालांकि चुनौतियाँ आती रहती हैं। बिहार चुनाव में कांग्रेस को सीटें मिलीं, लेकिन वे जीत नहीं सके, जिससे राजद ने कहा कि कांग्रेस के कारण गठबंधन सत्ता में नहीं आ पाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी सहयोगी दलों को मिलकर तय करना होगा कि चुनावी रणनीति क्या होनी चाहिए।भाजपा की चुनावी सफलता का एक प्रमुख कारण यह है कि उनके पास एक केंद्रीकृत नेतृत्व है, जिसके अंतर्गत वे चुनाव लड़ते हैं, जिससे उन्हें एकजुटता का लाभ मिलता है। उन्होंने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के उदाहरण दिए, जहाँ कांग्रेस ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा और उसे सकारात्मक परिणाम मिले। सिब्बल ने यह भी कहा कि इंडिया गठबंधन को संगठित होकर काम करना होगा।शरद पवार के दृष्टिकोण का हवाला देते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय गठबंधन मुख्य रूप से आम चुनावों के दौरान प्रभावी होता है, जबकि क्षेत्रीय चुनावों में इसकी रणनीति अलग हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्रीय पार्टियाँ अपने प्रभाव को राज्य से बाहर भी बढ़ाना चाहती हैं, जबकि राष्ट्रीय दल अपनी मौजूदगी को सीमित नहीं करना चाहते। इसलिए, इस विषय पर सभी सहयोगी दलों के बीच व्यापक चर्चा होनी चाहिए।सिब्बल ने विश्वास जताया कि इंडिया गठबंधन बना रहेगा, क्योंकि इसके सभी क्षेत्रीय नेतृत्वकर्ता अनुभवी और समझदार हैं। उन्हें पूरी तरह अहसास है कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कौन-कौन सी चुनौतियाँ सामने हैं और उनका समाधान कैसे निकाला जा सकता है।
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