कर्नाटक : मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बुधवार को कहा कि वह वक्फ संपत्तियों के मामले पर विचार करने के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने के लिए तैयार हैं। मुख्यमंत्री ने कर्नाटक विधानसभा को यह भी आश्वासन दिया कि वक्फ संपत्तियों पर स्थित मंदिरों को सरकार नहीं हटाएगी, और यदि उनके खिलाफ नोटिस जारी किए गए हैं तो उन्हें वापस ले लिया जाएगा। विधानसभा के वर्तमान सत्र में वक्फ भूमि के मुद्दे पर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राजस्व मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा ने विपक्षी आरोपों का विस्तृत जवाब दिया है।’’ मुख्यमंत्री ने सदन में कहा, ‘‘यदि विपक्ष हमारे जवाब से संतुष्ट नहीं है, तो सरकार एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने के लिए तैयार है।’’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला किसी प्रतिष्ठा का नहीं है। सिद्धरमैया ने कहा कि केंद्र सरकार ने 1954 में वक्फ अधिनियम लागू किया था, जिसमें राज्य सरकार को संशोधन का अधिकार नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘भा.ज.पा. के नेतृत्व में सरकार 2008 से 2013 और 2019 से 2023 तक राज्य में सत्ता में रही, और 2014 से भा.ज.पा. केंद्र में भी सत्ता में है। फिर, वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के बजाय, अब वे इस विवाद को खड़ा कर रहे हैं।’’ सिद्धरमैया ने कहा कि भा.ज.पा. ने अपने चुनाव घोषणापत्र में कहा था कि वह मुस्लिम धार्मिक नेताओं से चर्चा करेगी और वक्फ संपत्तियों पर हुए अतिक्रमण को हटवाएगी।