उत्तर प्रदेश : दुनिया का सबसे विशाल धार्मिक आयोजन, महाकुंभ मेला, आज उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर प्रयागराज में शुरू हो चुका है। लाखों श्रद्धालु विभिन्न स्थानों से संगम में पवित्र डुबकी लगाने के लिए प्रयागराज पहुँच चुके हैं। सुबह 9 बजे तक 60 लाख से अधिक लोग इस पवित्र अवसर का लाभ उठा चुके हैं। महाकुंभ के दौरान शाही स्नान का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, खासकर प्रयागराज में, जहां त्रिवेणी संगम स्थित है। यहाँ गंगा, यमुना और रहस्यमयी सरस्वती नदियाँ मिलती हैं, जो इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाती हैं।इन पवित्र घाटों के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को प्राचीन ग्रंथों में विस्तार से बताया गया है, जो इनकी आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति में भूमिका को स्पष्ट करते हैं। महाकुंभ के दौरान संगम के घाटों पर स्नान करने की योजना बनाने वाले श्रद्धालुओं के लिए इन घाटों का आध्यात्मिक महत्व समझना आवश्यक है।प्रयागराज का त्रिवेणी संगम घाट महाकुंभ के समय आस्था का प्रमुख केंद्र बन जाता है। तीन नदियों का संगम होने के कारण यह स्थान श्रद्धालुओं का आकर्षण का केंद्र है, और धार्मिक विश्वास है कि यहाँ स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है।केदार घाट, जो भगवान शिव की पूजा का प्रमुख स्थल है, महाकुंभ के दौरान भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। यहाँ श्रद्धालु पवित्र स्नान के बाद भोलेनाथ की पूजा करते हैं।प्रयागराज के हांडी फोड़ घाट, जो अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए प्रसिद्ध है, महाकुंभ के दौरान समृद्ध परंपराओं और शांतिपूर्ण वातावरण का अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है।दशाश्वमेध घाट, जो प्रयागराज के सबसे पवित्र घाटों में से एक है, धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व रखता है। यहाँ, प्राचीन समय में ब्रह्मा द्वारा 10 अश्वमेध यज्ञों का आयोजन किया गया था। महाकुंभ के दौरान यह स्थल प्रसिद्ध गंगा आरती और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र बनता है।