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गृह मंत्री के पद की प्रतिष्ठा बनाए रखें, आखिरकार शरद पवार ने अमित शाह को यह सलाह क्यों दी?

महाराष्ट्र : पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उस टिप्पणी को नकारा, जिसमें शाह ने कहा था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत ने 1978 में पवार द्वारा शुरू की गई विश्वासघात की राजनीति का अंत कर दिया। अमित शाह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री से ‘गृह मंत्री पद की गरिमा’ बनाए रखने की अपील की। शाह ने रविवार को शिरडी में आयोजित राज्य भाजपा सम्मेलन में पवार पर हमला करते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में भाजपा की जीत ने 1978 में शरद पवार द्वारा शुरू की गई अस्थिरता और पीठ में छुरा घोंपने वाली राजनीति को समाप्त कर दिया और उसे 20 फुट गहरे में दफना दिया।इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पवार ने कहा कि वह 1978 में मुख्यमंत्री थे और इस बारे में उन्हें पता नहीं है कि अमित शाह कहां थे। पवार ने यह भी याद दिलाया कि जब वह मुख्यमंत्री थे, तब उनके मंत्रालय में जनसंघ से उत्तमराव पाटिल जैसे नेता शामिल थे। पवार ने कहा कि आजकल नेताओं के बीच संवाद की कमी हो गई है, जो बहुत दुख की बात है। उन्होंने यह भी कहा कि गृह मंत्री पद की प्रतिष्ठा बनाए रखनी चाहिए। पवार ने उदाहरण देते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विपक्ष में रहते हुए भुज भूकंप के बाद उन्हें आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का उपाध्यक्ष नियुक्त किया था।इसके साथ ही पवार ने यह भी कहा कि भारत ने कई महान गृह मंत्री देखे हैं, जिनमें से किसी को भी उनके राज्य से बाहर नहीं भेजा गया। पवार का इशारा 2010 में सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में अमित शाह के गुजरात से बाहर निकाले जाने की ओर था। पवार ने यह भी कहा कि जब शाह गुजरात से बाहर थे, तो वह मदद के लिए बालासाहेब ठाकरे के पास गए थे।

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