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मायावती: अफसर बनने का सपना, शिक्षिका बनने का सफर, और कांशीराम की राह पर चलकर संभाला देश का सबसे बड़ा राज्य

दिल्ली : मायावती, जो आज भारतीय राजनीति में एक प्रतिष्ठित नाम हैं, बचपन में आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखती थीं। उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद प्रशासनिक सेवा में शामिल होने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी की। इस दौरान वह दिल्ली के एक स्कूल में अध्यापिका के तौर पर बच्चों को पढ़ाने लगीं। लेकिन उनकी जिंदगी ने उस वक्त एक नया मोड़ लिया, जब वह कांशीराम के संपर्क में आईं और राजनीति की ओर रुख किया।मायावती को भारतीय राजनीति में एक मजबूत महिला नेता के रूप में जाना जाता है। वह उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक महत्वपूर्ण चेहरा हैं और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। राज्य की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती ने न केवल दलित समुदाय की आवाज को मजबूती दी, बल्कि प्रशासनिक नेतृत्व में भी अपनी छाप छोड़ी।मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली के श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल में हुआ। उनके पिता प्रभू दयाल गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) में डाक विभाग में कार्यरत थे। साधारण जाटव परिवार में जन्मी मायावती के 6 भाई और 2 बहनें हैं। शिक्षा के प्रति समर्पित मायावती ने 1975 में दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज से कला में स्नातक किया। 1976 में मेरठ विश्वविद्यालय से बीएड की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की।शिक्षा पूरी करने के बाद मायावती ने प्रशासनिक सेवाओं में जाने का सपना देखा और इसकी तैयारी में जुट गईं। हालांकि, किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही तय कर रखा था।मायावती डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों से प्रेरित थीं। 1977 में उनकी कांशीराम से मुलाकात हुई, जो उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। कांशीराम ने 1984 में जब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की स्थापना की, तो मायावती को भी पार्टी में शामिल किया। कांशीराम उनके विचारों और व्यक्तित्व से प्रभावित थे।मायावती का राजनीति में प्रवेश उनके परिवार के लिए आसान नहीं था। उनके पिता इस निर्णय के सख्त खिलाफ थे और उन्होंने उनसे संबंध तोड़ लिया। लेकिन मायावती ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से राजनीतिक सफर जारी रखा।मायावती ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अलग पहचान बनाई। वह 1995 में पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद 1997, 2002 और 2007 में भी उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने प्रशासनिक सुधार किए और अंबेडकर नगर समेत कई नए जिलों का गठन किया।मायावती को जनता सम्मानपूर्वक ‘बहनजी’ कहकर पुकारती है। उन्होंने दलितों और वंचित वर्गों के अधिकारों की लड़ाई को अपनी राजनीति का आधार बनाया। साधारण परिवार से निकलकर एक शिक्षिका से चार बार मुख्यमंत्री बनने तक का उनका सफर प्रेरणादायक है।आज, मायावती न केवल एक राजनीतिक दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, बल्कि देश के राजनीतिक परिदृश्य में महिला सशक्तिकरण और सामाजिक बदलाव की प्रतीक हैं।

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