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जम्मू-कश्मीर : 16 अक्टूबर को CM पद की शपथ लेंगे उमर अब्दुल्ला, LG ने किया आमंत्रित

जम्मू-कश्मीर : उपराज्यपाल मनोज सिंह ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को 16 अक्टूबर को शपथ ग्रहण के लिए आमंत्रित किया। एलजी ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि उन्हें 11 अक्टूबर को जेकेएनसी अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला का पत्र मिला था, जिसमें बताया गया था कि उमर अब्दुल्ला को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना गया है। एलजी के पत्र में कहा गया है, ”मुझे आपको जम्मू-कश्मीर सरकार बनाने और उसका नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित करते हुए खुशी हो रही है।उमर अब्दुल्ला ने एक्स पर लिखा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के प्रधान सचिव का स्वागत कर प्रसन्नता हुई। उन्होंने एलजी के कार्यालय से मुझे जम्मू-कश्मीर में अगली सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने वाला एक पत्र सौंपा। इससे पहले जम्मू-कश्मीर से राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया था जिससे केंद्र शासित प्रदेश में नयी सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया था। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक राजपत्र अधिसूचना जारी की है। राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाये जाने का विभिन्न दलों ने स्वागत किया है।
हम आपको बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा हस्ताक्षरित अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 और 239ए के साथ पठित जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) की धारा 73 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में 31 अक्टूबर 2019 का आदेश, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 54 के तहत मुख्यमंत्री की नियुक्ति से तुरंत पहले निरस्त किया जाता है।’’हम आपको याद दिला दें कि हाल में संपन्न हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने जीत हासिल की। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री होंगे। उन्हें गठबंधन का नेता चुना गया है। हम आपको याद दिला दें कि पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों– जम्मू कश्मीर और लद्दाख के रूप में विभाजित किए जाने के बाद 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को संसद ने पांच अगस्त 2019 को पारित किया था। पूर्ववर्ती राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को भी उसी दिन निरस्त कर दिया गया था।

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