महाराष्ट्र : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को संविधान सदन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया। यह कार्यक्रम भारत के संविधान को अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाले समारोहों की शुरुआत का प्रतीक था। ‘संविधान दिवस’ समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और अन्य प्रमुख नेता शामिल हुए, जो इस अवसर के महत्व को रेखांकित करता है।भारत हर वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाता है, जो 1949 में संविधान को अपनाने की ऐतिहासिक घटना की याद दिलाता है। इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के संस्कृत और मैथिली संस्करण जारी किए और प्रस्तावना का औपचारिक वाचन भी किया।अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने समाज के सभी वर्गों, खासतौर पर वंचित तबकों के कल्याण के लिए सरकार की पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने गरीबों के लिए आवास उपलब्ध कराने और विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के निर्माण में हुई प्रगति का उल्लेख किया, जो समावेशी विकास और राष्ट्रीय उन्नति के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का परिचायक है। उन्होंने संविधान को एक “जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज़” बताते हुए कहा कि इसके माध्यम से देश ने सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के कई लक्ष्य हासिल किए हैं।राष्ट्रपति ने नागरिकों से संवैधानिक मूल्यों को अपनाने और मौलिक कर्तव्यों का पालन करते हुए 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य पर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम को “नए युग की शुरुआत” करार दिया और कहा कि भारत, एक अग्रणी अर्थव्यवस्था होने के साथ-साथ, वैश्विक भाईचारे की भूमिका निभा रहा है।राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इस दिन को एक ऐतिहासिक अवसर बताते हुए कहा कि संविधान के 75 साल पूरे होने का यह पर्व भारतीय लोकतंत्र की उपलब्धियों को दर्शाता है। उन्होंने भारत की आर्थिक प्रगति, मजबूत बुनियादी ढांचे और डिजिटल क्रांति की सराहना की, जो यह दर्शाते हैं कि संविधान ने देश को सशक्त और प्रभावी लोकतंत्र में बदलने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने इसे संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता और समर्पण को श्रद्धांजलि देने का अवसर बताया, जिन्होंने वर्षों तक काम कर इस दस्तावेज़ को तैयार किया।