दिल्ली : भारत ने हाल ही में 76वां गणतंत्र दिवस मनाया, जबकि देश में दो अन्य बड़े आयोजन भी चल रहे हैं। प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, जिसे भारतीय संस्कृति का प्रतीक और विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समारोह माना जाता है। वहीं दिल्ली में विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां भी जोरों पर हैं। तमाम बड़े नेता गणतंत्र दिवस समारोह में दिखे और कई नेता कुंभ स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचे। इसके विपरीत कांग्रेस के शीर्ष नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अनुपस्थिति ने सवाल खड़े कर दिए हैं।महाकुंभ भारतीय संस्कृति की गौरवशाली धरोहर है और भाजपा नेताओं ने इसमें भाग लेकर इसकी महत्ता को वैश्विक पहचान दिलाने का प्रयास किया। लेकिन राहुल गांधी ने इस आयोजन से दूरी बनाए रखी, जिससे उनकी भारतीय परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति उदासीनता पर चर्चा होने लगी। “जनेऊधारी ब्राह्मण” के रूप में अपनी पहचान बताने वाले राहुल गांधी ने अन्य धार्मिक आयोजनों से भी दूरी बनाए रखी, जो उनकी सांस्कृतिक समझ पर सवाल खड़े करता है।गणतंत्र दिवस, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और सैनिकों के बलिदान का प्रतीक है। इस साल राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने परेड में हिस्सा नहीं लिया, जिसे लोकतांत्रिक मूल्यों और सैनिकों के सम्मान का अनादर माना जा रहा है।जब देश के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में थे, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर पीड़ितों और सैनिकों से मुलाकात की। इसी दौरान राहुल गांधी के विदेश यात्रा पर होने की खबरें आईं, जो उनके नेतृत्व कौशल और राष्ट्रीय जिम्मेदारी को लेकर प्रश्न उठाती हैं।लोकसभा में संविधान की प्रति हाथ में लिए राहुल गांधी को हाल ही में संविधान की रक्षा की बातें करते हुए देखा गया था। हालांकि 2022 में संविधान दिवस पर उनकी अनुपस्थिति और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का सम्मान न करना उनके संवैधानिक मूल्यों के प्रति उदासीनता का संकेत माना गया।राम मंदिर भूमि पूजन भारतीय सांस्कृतिक इतिहास का ऐतिहासिक क्षण था। इस अवसर पर राहुल गांधी की अनुपस्थिति ने कांग्रेस की विचारधारा और भारतीय संस्कृति के प्रति उनके दृष्टिकोण को लेकर कई सवाल खड़े किए। पिछले साल अयोध्या में हुए रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से भी गांधी परिवार ने दूरी बनाए रखी।कई मौकों पर राहुल गांधी कांग्रेस के अपने कार्यक्रमों में भी अनुपस्थित नजर आए हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की जीत के बाद उन्होंने विजय उत्सव में शामिल न होकर पार्टी कार्यकर्ताओं को निराश किया। यह उनके नेतृत्व कौशल पर सवाल खड़े करता है।दिल्ली में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन से इनकार कर दिया और आक्रामक प्रचार की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव प्रचार आगे बढ़ा, कांग्रेस का अभियान कमजोर पड़ता दिखा। उम्मीदवारों को समर्थन देने के बजाय पार्टी के शीर्ष नेता नदारद रहे।इस सबके बीच लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर राहुल गांधी कहां हैं? न दिल्ली चुनाव में उनकी सक्रियता दिख रही है, न कुंभ में और न ही गणतंत्र दिवस समारोह में। यह सवाल देश की राजनीति में उनके भविष्य और नेतृत्व क्षमता को लेकर गंभीर चिंतन की मांग करता है।
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