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सोनिया ने कहा कि सभी पात्र लोगों को खाद्य सुरक्षा कानून का लाभ सुनिश्चित करने के लिए जनगणना जल्द से जल्द कराई जानी चाहिए।

दिल्ली : कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पार्टी संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को जल्द से जल्द जनगणना कराने की मांग की ताकि सभी पात्र नागरिकों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सुनिश्चित लाभ मिल सके। राज्यसभा के शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा एक विशेषाधिकार नहीं बल्कि नागरिकों का बुनियादी अधिकार है।गांधी ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा लागू किया गया राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम एक ऐतिहासिक कदम था, जिसका उद्देश्य देश की 140 करोड़ जनसंख्या के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना था। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि इस कानून ने लाखों कमजोर परिवारों को भुखमरी से बचाने में मदद की, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान। इसी कानून ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के लिए आधार भी प्रदान किया।उन्होंने बताया कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 75 प्रतिशत ग्रामीण और 50 प्रतिशत शहरी आबादी को सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार है। हालांकि, लाभार्थियों के लिए यह कोटा अभी भी 2011 की जनगणना पर आधारित है, जो अब एक दशक से भी अधिक पुराना हो चुका है।गांधी ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार जनगणना में चार साल से अधिक की देरी हो रही है। इसे मूल रूप से 2021 में आयोजित किया जाना था, लेकिन अब तक कोई स्पष्टता नहीं है कि यह कब होगी। बजट आवंटन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जनगणना इस साल भी होने की संभावना नहीं दिखती।उन्होंने जोर देकर कहा कि देरी के कारण लगभग 14 करोड़ पात्र नागरिक खाद्य सुरक्षा कानून के तहत अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं। गांधी ने सरकार से अपील की कि जनगणना को जल्द से जल्द पूरा करने को प्राथमिकता दी जाए और सुनिश्चित किया जाए कि हर पात्र व्यक्ति को खाद्य सुरक्षा के लाभ मिलें। उन्होंने स्पष्ट किया कि खाद्य सुरक्षा केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि एक मौलिक अधिकार है।

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