यमुनानगर : पराली जलाने वाले किसानों पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने सख्ती शुरू कर दी है। अब तक एक किसान पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है और दो और किसानों पर केस दर्ज करने की तैयारी है। इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारियों ने एसपी को पत्र लिखा है।हरसेक से मिली रिपोर्ट के बाद विभागीय अधिकारी अभी तक 11 किसानों पर 27500 रुपये जुर्माना लगाकर वसूली कर चुके हैं। अभी तक 24 जगह आग लगने की सूचना मिली है, लेकिन 11 जगह ही पराली जली मिली। इन पर 2500-2500 रुपये जुर्माना किया है। एक एकड़ तक पराली जलाने पर 2500 रुपये, दो एकड़ से जलाने पर 5000 रुपये व पांच एकड़ से ज्यादा जाने पर 15000 रुपये जुर्माना है।
अब अधिकारी जुर्माना लगाने के बजाय सीधे एफआईआर दर्ज करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। फसल अवशेष का प्रबंध करने पर सरकार द्वारा किसानों को सहायता राशि उपलब्ध करवाई जाती है। हरियाणा सरकार द्वारा 1000 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायताखेतों में जल रहे फसल अवशेष जमीन को बंजर कर रहे हैं।विशेषज्ञों के मुताबिक, एक टन धान की पराली जलाने से मिट्टी में 5.5 किलोग्राम नाइट्रोजन सल्फर 22 किलोग्राम, पोटाश 2.3 किलोग्राम व आर्गेनिक कार्बन 400 किलोग्राम पोषक तत्वों की हानि होती है। प्रदूषित कण शरीर के अंदर जाकर केकड़ों में सूजन सहित इंफेक्शन, निमोनिया की बीमारी और हार्ट का कारण बनते हैं। खांसी, अस्थमा, डाइबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
किसानों को किया जा रहा जागरूक : डा. सतीश कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एपीपीओ डॉ सतीश अरोड़ा ने बताया कि पराली जलाने वालों पर इस बार सरकार द्वारा बहुत ज्यादा सख्ती की जा रही है। डीसी कैप्टन मनोज कुमार ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना न करके सीधे एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। अब तक एक एफआईआर दर्ज हो चुकी है, जबकि दो अन्य एफआईआर दर्ज करने के लिए एसपी को पत्र लिखा हुआ है। जल्दी यह मामले भी दर्ज हो जाएंगे। वहीं सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों की फसल दो साल तक एमएसपी पर नहीं खरीदने के आदेश भी जारी किए हैं। फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को नुकसान होता है। इसलिए किसानों को न केवल जागरूक किया जा रहा है, बल्कि अपील भी की जा रही है कि वह फसल अवशेषों में आग न लगाएं ताकि भविष्य में उन्हें अपनी फसल बेचने में किसी तरह के परेशानी का सामना न करना पड़े।
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