उत्तराखंड : उच्च न्यायालय ने प्रदेश में कचरा बीनने वालों और उनके बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने के मुद्दे पर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया और अधिवक्ता नवनीश नेगी को न्यायमित्र के रूप में नियुक्त किया, ताकि इस विषय में न्यायालय की सहायता की जा सके।न्यायालय ने न्यायमित्र को निर्देश दिया कि वे कचरा बीनने वालों से मिलें, उन्हें उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं की जांच करें और इसके संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। मामले की सुनवाई के दौरान, शहरी विकास निदेशक ने अदालत को सूचित किया कि एक सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य में 549 कचरा बीनने वाले हैं, जिनमें से कई के पास राशन कार्ड, आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र हैं। उन्होंने बताया कि ये लोग कई सरकारी योजनाओं का लाभ भी ले रहे हैं।इससे पूर्व, विधिक सेवा प्राधिकरण ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि उच्च न्यायालय और जिला विधिक प्राधिकरणों की रिपोर्टों के अनुसार, कचरा बीनने वालों को राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का समुचित लाभ नहीं मिल रहा है। इसके चलते उनके बच्चों को भी इसी काम में लगना पड़ रहा है, जिससे उनका मानसिक और बौद्धिक विकास बाधित हो रहा है।मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ के समक्ष शहरी विकास सचिव उपस्थित हुए और नगर निगम को दिए गए निर्देशों के अनुपालन में एक शपथ पत्र दाखिल करने के लिए एक दिन का समय मांगा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 10 जनवरी निर्धारित की है।
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