दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट 4 दिसंबर 2024 को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ करेगी। कुल छह याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें से कुछ इस अधिनियम को खत्म करने की मांग करती हैं, जबकि अन्य इसके पक्ष में हैं। याचिकाकर्ताओं में विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ, डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, अश्विनी उपाध्याय और जमीयत उलेमा-ए-हिंद शामिल हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से शीघ्र सुनवाई की अपील की थी, जो संभल में शाही जामा मस्जिद से जुड़े एक सर्वेक्षण के बाद हुई घटनाओं के संदर्भ में थी। यह अधिनियम पूजा स्थलों के धार्मिक स्वरूप को उसी स्थिति में बनाए रखने का प्रावधान करता है जैसा कि 15 अगस्त 1947 को था और इनके रूपांतरण पर रोक लगाता है।2020 में कुछ हिंदू याचिकाकर्ताओं ने इस अधिनियम को चुनौती दी थी, जबकि 2022 में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इसके समर्थन में याचिका दायर की। अब सुप्रीम कोर्ट इन सभी याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करेगा। 2022 में, वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप का निर्धारण इस अधिनियम के अंतर्गत प्रतिबंधित नहीं है।