Suprabhat News

दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इन कारकों के साथ RSS की भूमिका भी हो सकती है अहम

दिल्ली : विधानसभा चुनाव में 70 सीटों में से 48 पर शानदार जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राजधानी में सरकार बनाने के लिए तैयार है। यह लगभग 27 वर्षों बाद होगा जब भाजपा का कोई नेता मुख्यमंत्री बनेगा। इससे पहले 1998 में दिवंगत सुषमा स्वराज ने यह पद संभाला था। पार्टी ने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी। अब यह निर्णय भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल हैं, पर निर्भर करेगा।सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री पद के चयन में जातिगत समीकरण एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। आने वाले हफ्तों में इस संबंध में अहम फैसले लिए जाने की उम्मीद है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की राय भी इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा सकती है। माना जा रहा है कि आरएसएस विभिन्न जातियों और समुदायों के भाजपा को दिए गए समर्थन के आधार पर सुझाव दे सकता है।मुख्यमंत्री के अलावा संभावित उपमुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और मंत्रिपरिषद की संरचना को लेकर भी चर्चा हो रही है। ब्राह्मण, जाट और पंजाबी मतदाताओं के समर्थन को देखते हुए इन समुदायों से जुड़े नेताओं को महत्वपूर्ण पद मिलने की संभावना है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विजय रैली में कहा था कि दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अब भाजपा की सरकारें हैं, जिससे बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा मिलेगा। यह संदेश मुख्यमंत्री के चयन में भी झलक सकता है। जातीय संतुलन बनाए रखने के लिए संभावित सीएम चेहरा जाट समुदाय से हो सकता है।सूत्रों के अनुसार, भाजपा का संसदीय बोर्ड जेपी नड्डा के नेतृत्व में एक बैठक कर मुख्यमंत्री चयन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा। चर्चा में जाट नेता परवेश वर्मा, रोहिणी से विजेंदर गुप्ता, गांधी नगर से अरविंदर सिंह लवली, दलित नेता राज कुमार चौहान, ठाकुर समुदाय की शिखा रॉय और ब्राह्मण नेता सतीश उपाध्याय जैसे नाम प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *