यमुनानगर : में पराली जलाने के तीन नए मामले सामने आए हैं, जो कि कुछ दिनों के बाद की एक घटना है। सेटेलाइट निगरानी में छछरौली क्षेत्र में दो और बाल छप्पर गांव में एक स्थान पर खेतों में आग लगी हुई पाई गई। कुल चार स्थानों पर पराली जलती हुई मिली, लेकिन इनमें से एक स्थान का पता नहीं चल सका। कृषि विभाग के अधिकारियों ने एसपी को पत्र लिखकर उन किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है, जिन्होंने खेतों में पराली जलाने की घटना को अंजाम दिया। जिले में अब तक कुल 34 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से केवल 20 ही ऐसे हैं जहाँ आग की पुष्टि की गई। अब तक सात किसानों पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। माना जा रहा है कि किसानों ने दिवाली के अवसर का लाभ उठाते हुए पराली में आग लगाई।कृषि विभाग के एपीपीओ, डॉ. सतीश अरोड़ा ने कहा कि नए तीन मामले सामने आए हैं और कुल मामलों की संख्या 34 हो गई है। उन्होंने बताया कि एफआईआर के लिए संबंधित एसपी को पत्र भेज दिया गया है। कृषि विज्ञान केंद्र दामला के समन्वयक, डॉ. संदीप रावल ने चेतावनी दी कि खेतों में जल रहे फसल अवशेष भूमि को बंजर बना रहे हैं। एक टन धान की पराली जलाने से मिट्टी में नाइट्रोजन, सल्फर, पोटाश और कार्बनिक कार्बन सहित महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की हानि होती है। इसके परिणामस्वरूप प्रदूषित कण मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे फेफड़ों में सूजन और संक्रमण की समस्या उत्पन्न हो सकती है, साथ ही खांसी और अस्थमा जैसी बीमारियों के मामलों में भी वृद्धि हो रही है।कृषि अवशेषों के प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा किसानों को सहायता राशि प्रदान की जाती है, जो कि हरियाणा सरकार की ओर से प्रति एकड़ 1000 रुपये के हिसाब से दी जाएगी। पिछले सत्र में लगभग छह करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी की गई थी।