यमुनानगर : मुकंद लाल जिला नागरिक अस्पताल में आईसीयू चालू करने की प्रक्रिया बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते, बिना उपकरणों वाला आईसीयू वार्ड तो बना दिया गया है, लेकिन इसे चालू करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। कई दिनों से बंद पड़े इस वार्ड में अब धूल की परत जमने लगी है।पांच मंजिला, 200 बेड वाले इस अस्पताल में आईसीयू न होने की वजह से मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मरीजों की हालत थोड़ी गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें सीधे पीजीआई रेफर कर देते हैं। कई बार मरीज पीजीआई पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं, और अगर पहुंच भी जाएं तो उनकी स्थिति इतनी बिगड़ चुकी होती है कि जान बचाना मुश्किल हो जाता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के दावे वास्तविकता से कोसों दूर हैं, और इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है।छह महीने पहले जिला नागरिक अस्पताल में आईसीयू शुरू करने का कार्य प्रारंभ हुआ था। ऑपरेशन थिएटर के सामने आईसीयू वार्ड तैयार कर उसमें छह वेंटिलेटर रखे गए। लेकिन इन वेंटिलेटर को संचालित करने के लिए आवश्यक स्टाफ और उपकरणों का इंतजाम आज तक नहीं हो सका।आईसीयू संचालन के लिए फिजिशियन, इंटर्निस्ट, मेडिकल ऑफिसर, स्वीपर, और अन्य सहायक स्टाफ की आवश्यकता है, लेकिन विभाग पिछले दो साल से इन पदों को भरने में नाकाम रहा है। इसके अलावा मल्टी पैरामीटर मॉनिटर, इंफ्यूजन पंप, और इमरजेंसी दवाओं जैसे जरूरी उपकरण भी उपलब्ध नहीं हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, आईसीयू के सुचारू संचालन के लिए पांच एनेस्थेटिस्ट और पांच मेडिकल ऑफिसर की आवश्यकता है, लेकिन यह स्टाफ अभी उपलब्ध नहीं है।स्वास्थ्य विभाग ने वेंटिलेटर और अन्य उपकरणों की मांग मुख्यालय को भेजी थी, लेकिन अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं आया है। पीजीआई रेफर किए गए मरीजों के परिवार वालों को भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इलाज के लिए बार-बार दूर जाना न केवल समय की बर्बादी है, बल्कि आर्थिक और मानसिक बोझ भी बढ़ाता है।सिविल सर्जन डॉ. मंजीत सिंह ने बताया कि आईसीयू को चालू करने के लिए स्टाफ और डॉक्टरों की आवश्यकता है, और इस संबंध में उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि आईसीयू शुरू करने की प्रक्रिया जारी है।