यमुनानगर : कड़ाके की सर्दी से न केवल आम लोग, बल्कि पशु भी प्रभावित हो रहे हैं। सर्दी का असर इतना गहरा है कि दुधारू पशुओं का दूध 20 प्रतिशत तक घट गया है, जिससे पशुपालकों को बड़ा नुकसान हो रहा है। इसके अलावा, सर्दी के कारण पशु बुखार और अन्य बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। पशुपालक अपने जानवरों को ठंड से बचाने के लिए हर संभव उपाय कर रहे हैं।शहर के दड़वा स्थित डेयरी कांप्लेक्स के पशुपालकों जैसे जितेंद्र लांबा, कुलदीप मेहता, संजय पाहवा, सतपाल मेहता, और रामकुमार का कहना है कि कड़ाके की सर्दी का प्रभाव उनके पशुओं पर साफ दिखाई दे रहा है। दिसंबर के अंत तक उनकी भैंसें एक बार में 10 किलोग्राम तक दूध देती थीं, लेकिन अब सर्दी की वजह से वह 8 किलोग्राम भी दूध नहीं दे पा रही हैं। सर्दी के कारण पशुओं को बार-बार बुखार हो रहा है, जिससे उनका इलाज करवाना पड़ रहा है। ठंड से गायें अधिक प्रभावित हो रही हैं क्योंकि उन्हें सर्दी ज्यादा लगती है। पशु पालन के लिए, वह गुड़, बिनौले, और मेथी खिलाने के साथ-साथ अलाव भी जला रहे हैं। साथ ही, पशुओं पर बोरी डालनी पड़ रही है ताकि उन्हें सर्दी से बचाया जा सके।पशुपालन विभाग के एसडीओ डॉ. सतबीर सैनी ने बताया कि ठंड में पशुओं के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। जैसे, उन्हें ज्यादा ठंडा पानी नहीं पिलाना चाहिए, और केवल धूप होने पर ही बाहर निकालें। पशुओं को बांधने की जगह सूखी रखनी चाहिए, और वहां नमी या गीलापन नहीं होना चाहिए। जो पशुपालक मैट का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें रोजाना उसकी सफाई करनी चाहिए। अगर मैट नहीं है, तो धान की पराली या सूखा भूसा भी पशु की बिठने की जगह पर डाला जा सकता है। ठंड में पशु को अचानक बाहर न निकालें, और शीतलहर के दौरान उनकी खोर में सेंधा नमक का ढेला रखें ताकि पशु उसे चाट सके और आवश्यकतानुसार सेवन कर सके।पशुपालन विभाग के एसडीओ डॉ. सतबीर सैनी ने यह भी बताया कि दूध की मात्रा बनाए रखने के लिए पशुओं को खनिज मिश्रण देना चाहिए, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे। इसके अलावा, उन्हें हरा चारा भी दिया जाना चाहिए। प्रतिदिन 100 से 150 ग्राम गुड़ और मेथी देने से पशु का शरीर का तापमान संतुलित रहेगा।