यमुनानगर : शहर की सड़कों और गलियों में लावारिस कुत्तों का आतंक बढ़ गया है। इसके बावजूद नगर निगम के अधिकारी इस समस्या के समाधान के प्रति गंभीर नजर नहीं आ रहे। कुत्तों के भय से शहरवासी अब सुबह और शाम की सैर कम कर रहे हैं। यदि कोई बाहर निकलता है, तो उसे अपनी सुरक्षा के लिए हाथ में डंडा लेना पड़ता है, क्योंकि हर समय यह डर बना रहता है कि कहीं कुत्ते अचानक हमला न कर दें। डंडा होने पर लोग थोड़ी राहत महसूस करते हैं, लेकिन फिर भी डर पूरी तरह से खत्म नहीं होता। कुत्तों की बढ़ती संख्या ने शहरवासियों को घरों में बंद रहने के लिए मजबूर कर दिया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम इस समस्या को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।सूत्रों के अनुसार, शहर में कुत्तों की संख्या अब 50 हजार से अधिक हो चुकी है, जिससे हर गली और मोहल्ले में कुत्तों का आतंक है। जनवरी से नवंबर तक, कुत्तों ने लगभग 5400 लोगों को काटा है। यह आंकड़ा केवल सरकारी अस्पतालों में रेबीज के बचाव के लिए इंजेक्शन लेने वालों का है। इसके अलावा, कई लोग निजी अस्पतालों या मेडिकल स्टोर से भी एंटी-रेबीज इंजेक्शन लगवा रहे हैं।कांसापुर के निवासी वीरेंद्र और संदीप ने बताया कि अब घर से बाहर निकलना भी खतरनाक लगता है। डॉक्टरों का कहना है कि स्वस्थ रहने के लिए सुबह-शाम सैर करना जरूरी है, लेकिन कुत्तों के आतंक के कारण सैर अब जोखिम भरा हो गया है। वे बताते हैं कि सैर पर जाने से पहले उन्हें डंडा लेकर चलना पड़ता है। यदि गली में कुत्ता बैठा हो, तो किसी को यह समझने की गलती नहीं करनी चाहिए कि वह शांत है, क्योंकि वह कभी भी उठ कर हमला कर सकता है। उनका कहना है कि जब कूड़ा बीनने वाला आता है, तो कुत्ते उसे घेर लेते हैं और एक साथ आठ से दस कुत्ते उस पर हमला करते हैं। सर्दी के मौसम में लोग चेहरे पर मफलर या कपड़ा बांधकर चलते हैं, तो कुत्ते उन्हें अजनबी समझ कर अचानक हमला कर देते हैं। शहरवासियों ने मांग की है कि नगर निगम कुत्तों को पकड़ कर या तो उन्हें जंगल में छोड़ दे, या फिर उन्हें किसी सुरक्षित जगह पर रखने की व्यवस्था करें।
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