यमुनानगर : में नगर निगम के मेयर और 21 वार्ड पार्षदों के चुनाव के लिए रविवार को मतदान संपन्न हुआ। कुल 348 मतदान केंद्रों पर हुई इस प्रक्रिया में 53.5% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इस चुनाव में कुल 3,55,278 मतदाताओं में से 1,90,082 ने मतदान किया, जबकि 1,65,196 मतदाता मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंचे।नगर निगम के मेयर और पार्षद पदों के लिए किसे जनता ने चुना, इसका खुलासा 12 फरवरी को ईवीएम खुलने के बाद होगा। पिछली बार के चुनावों की तुलना में इस बार मतदान का प्रतिशत कम देखने को मिला। 2013 में हुए पहले नगर निगम चुनाव में 74.2% मतदान हुआ था, जबकि 2018 में यह घटकर 65.2% रह गया। इस बार मतदान और भी कम होकर 53.5% पर आ गया।हालांकि, चुनाव प्रचार के दौरान सभी प्रमुख दलों—भाजपा, कांग्रेस और अन्य समर्थित स्वतंत्र उम्मीदवारों ने जोर-शोर से प्रचार किया था, लेकिन अपेक्षा के विपरीत मतदान प्रतिशत गिरा। मतदान प्रतिशत कम रहने पर न केवल प्रत्याशी बल्कि आम लोग भी आश्चर्यचकित हैं। यह आंकड़ा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगा और इसके कारणों को लेकर चर्चाएं शुरू हो गईं।इस बार मेयर पद एससी महिला के लिए आरक्षित था, जिसके लिए चार प्रत्याशी मैदान में उतरे—भाजपा से सुमन बहमनी, कांग्रेस से किरणा देवी, और दो निर्दलीय उम्मीदवार मधु व सुमन वाल्मीकी। बाद में सुमन वाल्मीकी भाजपा को समर्थन देकर पार्टी में शामिल हो गईं। वहीं, मधु को इनेलो, बसपा और आम आदमी पार्टी के पदाधिकारियों का समर्थन मिला, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया।पार्षद चुनाव में भी विभिन्न दलों के प्रत्याशी मैदान में थे। भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे, जबकि तीन वार्डों में आम आदमी पार्टी और एक वार्ड में बसपा ने प्रत्याशी खड़े किए। इनेलो, बसपा और आम आदमी पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों ने कई वार्डों में स्वतंत्र प्रत्याशियों को समर्थन देने का ऐलान किया, जिससे मुकाबला कड़ा हो गया।वार्ड नौ में कांग्रेस प्रत्याशी पूनम ने नाम वापस लेने के बाद भाजपा की भावना बिट्टू निर्विरोध पार्षद निर्वाचित हो गईं। बाकी 21 वार्डों में कुल 86 प्रत्याशी मैदान में थे। अब मेयर और पार्षद पदों के लिए जनता द्वारा किए गए चुनाव का फैसला ईवीएम खुलने के बाद सामने आएगा।
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