यमुनानगर : में धान की कटाई के बाद किसान अब गेहूं की बुवाई में जुटे हुए हैं। इस दौरान डीएपी की आवश्यकता होती है, लेकिन निजी खाद विक्रेता किसानों की इस मजबूरी का लाभ उठाते नजर आ रहे हैं। किसानों को डीएपी की जरूरत है, परंतु विक्रेता उन पर पोटाश खरीदने का भी दबाव डाल रहे हैं। सरकारी केंद्रों पर गेहूं के बीज लेने के लिए किसानों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। जो किसान पोटाश लेने से मना कर रहे हैं, उन्हें डीएपी देने से इनकार किया जा रहा है। अगर किसान डीएपी के साथ पोटाश लेते हैं, तो उन्हें अतिरिक्त 550 रुपये देने पड़ रहे हैं, जिससे उनका आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।दक्षिण हरियाणा के कुछ जिलों में डीएपी को लेकर काफी समस्या हो रही है, और किसानों को यह चिंता सता रही है कि कहीं बुवाई के दौरान उन्हें डीएपी न मिले। इस कारण डीएपी की मांग तेजी से बढ़ रही है। कृषि विभाग के अनुसार, जिले में वर्तमान में 1508 मीट्रिक टन डीएपी का भंडार है, और अक्तूबर में 4074 मीट्रिक टन डीएपी पहले ही किसानों में वितरित किया जा चुका है। साथ ही 22291 मीट्रिक टन यूरिया का भी स्टॉक उपलब्ध है।सुढैल क्षेत्र के किसान इनायत अली ने बताया कि डीएपी लेने गए थे, तो दुकानदार ने पोटाश भी खरीदने के लिए कहा। इनायत अली ने जब पोटाश लेने से मना किया, तो उन्हें डीएपी देने से इनकार कर दिया गया। ऐसे में बुवाई के कम समय को देखते हुए कई किसानों के पास डीएपी के साथ पोटाश भी खरीदने का दबाव बन गया है। कृषि विभाग ने इस बार 1 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई का लक्ष्य रखा है, जो कि पिछले साल के 90 हजार हेक्टेयर से अधिक है। पिछले साल की अच्छी पैदावार से इस बार किसान काफी उत्साहित हैं।भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष संजू गुंदियाना का कहना है कि डीएपी किसानों को मिल रहा है, लेकिन दुकानदार उन्हें पोटाश भी जबरन खरीदने पर मजबूर कर रहे हैं। यह समस्या नई नहीं है, बल्कि हर साल ऐसा होता है। किसानों को मजबूरी में अतिरिक्त राशि देकर पोटाश भी खरीदनी पड़ती है। ऐसे विक्रेताओं पर प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. आदित्य डबास ने आश्वासन दिया है कि जिले में डीएपी का पर्याप्त भंडार है और यदि कहीं दुकानदार किसानों पर पोटाश खरीदने का दबाव डाल रहे हैं, तो वे इसकी शिकायत करें, ऐसे विक्रेताओं पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।