यमुनानगर : यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए एक नई पहल की शुरुआत की गई है। जगाधरी क्षेत्र की फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल युक्त जल को यमुना नदी में प्रवाहित करने से पहले उपचारित किया जाएगा। इसके लिए एक सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र (सीईटीपी) स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है। इस प्रस्ताव के अनुसार, लगभग 105 करोड़ रुपये की लागत से 19.50 एमएलडी क्षमता का यह संयंत्र स्थापित किया जाएगा।यमुनानगर और जगाधरी दोनों औद्योगिक नगर हैं, जहां बड़ी संख्या में फैक्ट्रियां स्थित हैं। इन फैक्ट्रियों से निकलने वाला केमिकल युक्त पानी सीधे नालों के माध्यम से यमुना नदी में बहाया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप नदी का जल प्रदूषित हो रहा है। हाल ही में एनजीटी द्वारा की गई सख्ती के बाद, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी नदियों को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए कठोर कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।इसी संदर्भ में, सरकार अब फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल युक्त जल को सीधे यमुना नदी में नहीं बहाने का निर्णय ले रही है, बल्कि सीईटीपी के माध्यम से उपचारित करने की योजना बना रही है। यह संयंत्र जगाधरी में पहले से मौजूद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निकट स्थापित किया जाएगा, जहां सभी फैक्ट्रियों का गंदा पानी एकत्रित किया जाएगा और उपचारित करने के बाद डिच ड्रेन के माध्यम से यमुना नदी में पहुंचाया जाएगा। जगाधरी में बनने वाले सीईटीपी संयंत्र के लिए डीपीआर तैयार कर दी गई है और अब टेंडर प्रक्रिया शुरू की जा रही है। यह उपचार संयंत्र लगभग 65 एकड़ भूमि पर 105 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया जाएगा।लाल सिंह, एसडीओ, सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग, जगाधरी।
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