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यमुनानगर: शिवालिक के जंगलों में खैर की लकड़ी की तस्करी का असली खिलाड़ी कौन?

यमुनानगर : में खैर की लकड़ी की तस्करी तेजी से बढ़ रही है, जिससे इस इलाके में वन्य तस्करी के मामलों पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। तस्करों के हौसले इतने बढ़ चुके हैं कि यह अपराध अब एक संगठित सिंडिकेट के रूप में चलने लगा है। यह सिंडिकेट खैर के जंगलों में अवैध रूप से लकड़ी काटता है, और स्थानीय वन विभाग तथा पुलिस की निगरानी से बचकर, लकड़ी को लग्जरी गाड़ियों जैसे इनोवा, स्कॉर्पियो, और क्रेटा में भरकर आसपास के क्षेत्रों में भेज देता है। तस्करी के इन हॉटस्पॉट्स को चिह्नित किया जा रहा है, लेकिन पूरे सिंडिकेट को नष्ट करने में अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है।यमुनानगर का शिवालिक क्षेत्र, जहां खैर के घने जंगल हैं, यह लकड़ी मजबूत और टिकाऊ होती है, इसलिए इसका इस्तेमाल भवन निर्माण और फर्नीचर में अधिक होता है। इसकी भारी मांग के कारण तस्करी में भी तेजी आई है। इस तस्करी के मुख्य इलाके यमुनानगर के चार प्रमुख रेंज हैं: जगाधरी, साढौरा, कलेसर, और छछरौली। इन क्षेत्रों में कई गांव हैं, जैसे असगरपुर, काठगढ़, फैजपुर, और मुकारमुर, जहां तस्करी के मामले आम हैं।हालांकि, वन विभाग और पुलिस द्वारा समय-समय पर कार्रवाई की जाती है, तस्करी की यह समस्या अब भी बनी हुई है। छोटे स्तर पर तस्करों को गिरफ्तार किया जाता है, लेकिन बड़े सिंडिकेट पर अभी तक कोई गंभीर अंकुश नहीं लग पाया है।

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