सरकार ने चुराचांदपुर, मोरेह, इंफाल से लोगों को सुरक्षित इलाकों में पहुंचाया: मणिपुर के मुख्यमंत्री

इंफाल घाटी में रहने वाले मेइती और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी लोगों के बीच पिछले साल मई से जातीय हिंसा भड़कने के बाद 200 से अधिक लोग मारे गए हैं

सरकार ने चुराचांदपुर, मोरेह, इंफाल से लोगों को सुरक्षित इलाकों में पहुंचाया: मणिपुर के मुख्यमंत्री

मणिपुर :  मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बृहस्पतिवार को बताया कि उनकी सरकार ने चुराचांदपुर, मोरेह और इंफाल जैसे जातीय हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया ताकि उनकी रक्षा की जा सके।चुराचांदपुर और मोरेह से लोगों को इंफाल घाटी और राज्य की राजधानी से पहाड़ियों में स्थानांतरित करने के बारे में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए सिंह ने कहा,

‘‘जिस रात (तीन मई को) हिंसा भड़की, हम सो नहीं सके। हम तत्काल किए जा सकने वाले कार्यों पर कार्यालय में चर्चा कर रहे थे।’’उन्होंने कहा, ‘‘मोरेह में प्रभावित लोगों को असम राइफल्स के शिविर में रखा गया था और चुराचांदपुर में प्रभावित लोगों को सचिवालय में रखा गया था। शुरू में हमने उन्हें वहीं रखने के बारे में सोचा था, लेकिन मदद की अपील लगातार की जा रही थीं और हर तरफ से दबाव था कि प्रभावित लोग अपने मौजूदा स्थानों पर सुरक्षित नहीं हैं। जीवन बचाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता थी, इसलिए सरकार ने उन्हें निकालने का फैसला किया।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब सवाल उठ रहे हैं कि उन्हें चुराचांदपुर और मोरेह से इंफाल घाटी क्यों स्थानांतरित किया गया, लेकिन अगर उन्हें स्थानांतरित नहीं किया गया होता और दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हो सकती थीं जिससे एक अलग सवाल खड़ा होता।सिंह ने कहा, ‘‘हजारों की संख्या में भीड़ इकट्ठी हुई थी और आप लोगों पर अंधाधुंध गोलियां नहीं चला सकते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम शांति के संकेत देख रहे हैं। जिरीबाम में अपने घरों से भागे 133 लोग हाल में अपने-अपने घरों को लौट आए हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि विस्थापित लोग अपने घरों को लौटें।’’इंफाल घाटी में रहने वाले मेइती और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी लोगों के बीच पिछले साल मई से जातीय हिंसा भड़कने के बाद 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हुए हैं।